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र पन्द्रहों अध्ययन : नंदीफल
( १४९ ) डा 15 परिपूर्ण नगरी थी। वहां कनककेतु नाम के एक राजा का राज्य था, जो महा हिमवंत पर्वत के डा र समान ऐश्वर्यशाली था। (औपपातिक सूत्र के अनुसार)।
3. In the north-eastern direction of Champa there was a rich town named Ahicchatra. King Kanak-ketu of that city was as illustrious as the great
Himalayas. (as in Aupapatik Sutra) 15 धन्य सार्थवाह की घोषणा 5 सूत्र ४ : तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारवेदी र अज्झिथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-'सेयं खलु मम विपुलं । 5 पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं नगरिं वाणिज्जाए गमित्तए' एवं संपेहेइ, संपेहित्ता गणिमं च धरिमंट 2 च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च चउव्विहं भंडं गेण्हइ, गेण्हित्ता सगडीसागडं सज्जेइ, सज्जित्ता B सगडीसागडं भरेइ, भरित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सहावित्ता एवं वयासीर सूत्र ४ : एक बार मध्यरात्रि के समय धन्य सार्थवाह के मन में एक आकांक्षा, चिन्ता, इच्छा, 15 अभिलाषा या विचार उत्पन्न हुआ-"मुझे बहुत-सा माल लेकर व्यापार के लिए अहिच्छत्रा नगरी 12 जाना लाभदायक होगा।" दूसरे दिन उसने अपने इस विचार के अनुसार गणिम, धरिम, मेय तथा
र परिच्छेद्य (अ. ९ सू. ८ के समान) चारों प्रकार का माल क्रय किया और गाड़ियों में भरा। 15 तत्पश्चात् उसने अपने सेवकों को बुलाकर कहा
ANNOUNCEMENT BY DHANYA
4. Once around midnight, Dhanya merchant had an idea, "It would be profitable for me to collect a wide range of merchandise and proceed to Ahicchatra for trading." Accordingly he purchased enough stocks of the four
categories of goods (Ganim or the goods that are sold in numbers, Dharim or 2 the goods that are sold by weight, Meya or the goods that are sold by
measurement, and Paricched or the goods that are sold in pieces) and filled 5 many carts. After this he called his servants and said -
र सूत्र ५ : ‘गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु उग्घोसेमाणा | 15 उग्घोसेमाणा एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! धण्णे सत्थवाहे विपुले पणियं आदाय इच्छइदा र अहिच्छत्तं नगरिं वाणिज्जाए गमित्तए। तं जो णं देवाणुप्पिया ! चरए वा, चीरिए वा, 5 चम्मखण्डिए वा, भिच्छुड़े वा, पंडुरंगे वा, गोयमे वा, गोवईए वा, गिहिधम्मे वा, गिहिधम्मचिंतएट र वा अविरुद्ध-विरुद्ध-वुड्ढ-सावग-रत्तपड-निग्गंथप्पभिई पासंडत्थे वा गिहत्थे वा, तस्स णं धण्णेणंडा 5 सद्धिं अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ, तस्स णं धण्णे सत्थवाहे अच्छत्तगस्स छत्तगं दलयइ, अणुवाहणस्सटी CHAPTER-15 : THE NANDI-FRUIT
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