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पण्णरसमं अज्झयणं : णंदी-फले
पन्द्रहवाँ अध्ययन : नंदीफल FIFTEENTH CHAPTER : NANDIPHALE - THE NANDI-FRUIT
सूत्र १ : 'जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं चोद्दसमस्स नायज्झयणस्स अयमटेड 15 पण्णत्ते, पन्नरसमस्स णायज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं के अढे पन्नत्ते?'
र सूत्र १ : जम्बू स्वामी ने पूछा- “भंते ! जब श्रमण भगवान महावीर ने चौदहवें ज्ञात अध्ययन टै 15 का पूर्वोक्त अर्थ बताया है तो उन्होंने पन्द्रहवें ज्ञात अध्ययन का क्या अर्थ कहा है। IF 1 Jambu Swami inquired, “Bhante! What is the meaning of the fifteenth :
5 chapter according to Shraman Bhagavan Mahavir?" 5 सुधर्मा स्वामी का उत्तर र सूत्र २ : एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं नयरी होत्था। पुनभद्दे नाम । 15 चेइए। जियसत्तू नामं राया होत्था। तत्थ णं चंपाए नयरीए धन्ने नामं सत्थवाहे होत्था, अड्डे जावद र अपरिभूए। हे सूत्र २ : "जम्बू ! काल के उस भाग में चम्पा नाम की एक नगरी थी। उसके बाहर पूर्णभद्र डी र नाम का एक चैत्य था। वहां जितशत्रु नाम का राजा राज्य करता था और धन्य नाम का एक
सम्पन्न व समर्थ सार्थवाह रहता था।
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SUDHARMA SWAMI NARRATED
2. Jambu! During that period of time there was a city named Champa. King Jitshatru ruled over that city. Outside the city in the north-eastern 5 direction there was a Chaitya named Purnabhadra Chaitya. A wealthy and C
resourceful merchant named Dhanya lived in the city. 5 सूत्र ३ : तीसे णं चंपाए नयरीए उत्तरपुरछिमे दिसिभाए अहिच्छत्ता नाम नयरी होत्था, दी र रिद्धत्थिमियसमिद्धा, वन्नओ। तत्थ णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नाम राया होत्था, महया ड 5 वन्नओ। र सूत्र ३ : उस चम्पा नगरी से उत्तर-पूर्व दिशा में अहिच्छत्रा नाम की एक धन-धान्यादि से ।
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA
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