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DUDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD ) र चौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र
( १३७ ) Tetaliputra now went into the Ashok garden. He took a rope, made a noose at one end, and put it around his neck. He climbed a tall tree and tied S the other end of the rope to a strong branch. He then jumped from the tree but the noose around his neck did not tighten, instead the rope broke apart.
Similarly Tetaliputra tried to kill himself by tying a heavy rock around his neck and jumping into a deep lake. But the lake became shallow and he
did not drown. * At last he collected a pile of dry twigs and leaves and ignited a fire. He 5 jumped into it but instead of turning him to ashes the fire extinguished itself. र सूत्र ४३ : तए णं से तेयलिपुत्ते एवं वयासी-“सद्धेयं खलु भो समणा वयंति, सद्धेयं खलु ट 5 भो माहणा वयंति, सद्धेयं खलु भो समणा माहणा वयंति, अहं एगो असद्धेयं वयामि, एवं खलु डा
अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ? र सह मित्तेहिं अमित्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ?
एवं अत्थेणं दारेणं जासेहिं परिजणेणं।
एवं खलु तेयलिपुत्तेणं अमच्चेणं कणगज्झएणं रन्ना अवज्झाएणं समाणेणं तालपुडगे विसं P आसगंसि पक्खित्ते, से वि य णो संकमइ, को मेदं सद्दहिस्सइ ? 5 तेयलिपुत्ते नीलुप्पल जाव खंधंसि ओहरिए, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला, को मेदं । सद्दहिस्सइ ?
तेयलिपुत्तेणं पासगं गीवाए बंधेत्ता जाव रज्जू छिन्ना, को मेदं सद्दहिस्सइ ? . 5 तेयलिपुत्तेणं महासिलयं जाव बंधित्ता अत्थाह जाव उदगंसि अप्पा मुक्के तत्थ वि य णं थाहे डा र जाए, को मेदं सद्दहिस्सइ ?
तेयलिपुत्तेणं सुक्कंसि तणकूडे अग्गी विज्झाए, को मेदं सद्दहिस्सइ ? र ओहयमणसंकप्पे जाव झियाइ। र सूत्र ४३ : तेतलिपुत्र मन ही मन सोचने लगा-"श्रमण श्रद्धा योग्य वचन बोलते हैं, ब्राह्मण ट] र श्रद्धा योग्य वचन बोलते हैं, श्रमण और ब्राह्मण सभी श्रद्धा योग्य वचन बोलते हैं। एक मैं ही हूँ जो द 15 अश्रद्धा योग्य (अविश्वसनीय) वचन बोलता हूँ।
र मैं पुत्रों सहित होने पर भी पुत्रहीन हूँ, कौन इस कथन का विश्वास करेगा? पर मैं मित्रों सहित होने पर भी मित्रहीन हूँ, कौन विश्वास करेगा? 15 वैसे ही मेरे धन, स्त्री, दास और परिवार रहित होने की बात पर कौन विश्वास करेगा? E CHAPTER-14 : TETALIPUTRA
(137) टा FAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAL
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