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________________ - धDDDDDDDDDDDDDDज्जन PP (१३०) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा emaciated and after meditation and a last critical review of her life sh embraced a meditator's death and reincarnated as a god. 5कनकरथ का देहान्त 2 सूत्र ३३ : तए णं से कणगरहे राया अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था। तए । 5 णं राईसर जाव णीहरणं करेंति, करित्ता अन्नमन्नं एवं वयासी-“एवं खलु देवाणुप्पिया ! र कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगित्था, अम्हे णं देवाणुप्पिया ! रायाहीणा, रायाहिट्ठिया, र रायाहीणकज्जा, अयं च णं तेतली अमच्चे कणगरहस्स रण्णो सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु 5 लद्धपच्चए दिनवियारे सव्वकज्जवड्डावए यावि होत्था। तं सेयं खलु अम्हं तेयलिपुत्तं अमच्चंद र कुमार जाइत्तए' त्ति कटु अन्नमन्नस्स एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे ड 5 तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेयलिपुत्तं एवं वयासीर “एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य रढे य जाव वियंगेइ, अम्हे य णंट 5 देवाणुप्पिया ! रायाहीणा जाव रायाहीणकज्जा, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो दी र सव्वट्ठाणेसु जाव रज्जधुराचिंतए। तं जइ णं देवाणुप्पिया ! अस्थि केइ कुमारे रायलक्खणसंपन्ने । 15 अभिसेयारिहे, तं णं तुमं अम्हं दलाहि, जा णं अम्हे महया रायाभिसेएणं अभिसिंचामो।" र सूत्र ३३ : इधर कालान्तर में राजा कनकरथ का देहावसान हो गया। राजाओं तथा राजकुमारों ड B आदि प्रतिष्ठितजनों ने यथाविधि उसका अन्तिम संस्कार किया। तत्पश्चात् उन लोगों ने परस्पर ट] 5 विचार किया-“देवानुप्रियो ! राजा कनकरथ ने अपनी राज्यासक्ति के कारण अपने पुत्रों को दी र विकलांग कर दिया है। हम सब तो राजा के आधीन रहे हैं, राजा के अधिष्ठित होकर रहने और ड र कार्य करने वाले हैं पर अमात्य तेतलिपुत्र सदा सभी भूमिकाओं में राजा कनकरथ के विश्वासपात्र, टे 15 परामर्शदाता और कार्य-संचालक रहे हैं। अतः हमें उनसे योग्य शासक की याचना करनी चाहिये।" र इस विचार पर सहमत हो वे सभी तेतलिपुत्र के पास आए और बोले15 “देवानुप्रिय ! आप सभी कामों में राजा कनकरथ के परम विश्वास पात्र एवं राज्य के हित टा चिंतक रहे हैं अतः हमने विमर्श कर आपसे योग्य शासक की याचना करने का निर्णय लिया है। अतः यदि कोई कुमार राज लक्षणों से युक्त और राज्याभिषेक के योग्य हो तो हमें बतावें जिससे डा 15 हम उसका उपयुक्त समारोह सहित राज्याभिषेक करें।" KANAK-RATH PASSES AWAY 33. Some years later King Kanak-rath died. Kings, princes and other prominent people performed his last rites. After that they conferred, र “Beloved of gods! Because of his covetous attitude King Kanak-rathi 5 disfigured all his sons. We have always remained as subjects of the king and a 5 worked under his guidance only. But minister Tetaliputra has always been a JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA J Sannnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr 15 (130) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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