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कचौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र
( १३१ ) SI Bhis confidante, advisor, and administrator on his behalf in all matters. As
5 such, we should request him to provide an able ruler.” Deciding thus, they all 15 came to Tetaliputra and said -
"Beloved of gods! After due deliberations we have decided to request you 3 to provide an able ruler. If you know of some prince having virtues desired of 15 a king, please tell us so that we may arrange for a grand coronatio 5 ceremony." र सूत्र ३४ : तए णं तेयलिपुत्ते तेसिं ईसरपभिईणं एयमट्ठ पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता कणगज्झयंट 15 कुमार पहायं जाव सस्सिरीयं करेइ, करित्ता तेसिं ईसरपभिईणं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासी5 "एस णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो पुत्ते, पउमावईए देवीए अत्तए, कणगज्झए टा र कुमारे अभिसेयारिहे रायलक्खणसंपन्ने। मए कणगरहस्स रण्णो रहस्सियं संवड्डिए। एयं णं तुभेडा 5 महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचह।" सव्वं च तेसिं उट्ठाणपरियावणियं परिकहेइ। र तए णं ते ईसरपभिइओ कणगज्झयं कुमारं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति। 5 सूत्र ३४ : तेतलिपुत्र ने उन प्रतिष्ठित जनों का अनुरोध स्वीकार किया और कुमार कनकध्वज डा 12 को वस्त्रालंकार से विभूषित कर उनके सामने लाकर कहा5 "देवानुप्रियो ! यह कनकरथ राजा का पुत्र और रानी पद्मावती का आत्मज कुमार कनकध्वज र है। यह राज्य कलाओं से युक्त और अभिषेक योग्य है। मैंने कनकरथ राजा से गुप्त रखकर इसका 5 लालन-पालन किया है। आप लोग इसका पूर्ण समारोह के साथ राज्याभिषेक करें।" यह कहकर 5 उन्होंने कुमार के जन्म और लालन-पालन का समग्र वृत्तान्त कह सुनाया। B 34. Tetaliputra accepted the request of those prominent citizens and after 5 due preparations presented prince Kanak-dhvaj before them. He said2 "Beloved of gods! This is prince Kanak-dhvaj. He is the son of late kingSI
Kanak-rath and Queen Padmavati. He is endowed with all the virtues a king B should have and thus he may be crowned. I brought him up keeping it a
secret from king Kanak-rath. You may crown him with all due ceremonies." 5 And Tetaliputra narrated in details all the incidents of the life of the prince. cl
र सूत्र ३५ : तए णं ते ईसरपभिइओ कणगज्झयं कुमारं महया महया रायाभिसेएणं 15 अभिसिंचंति। तए णं से कणगज्झए कुमारे राया जाए, महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-डी र महिंदसारे, वण्णओ, जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ। र तए णं सा पउमावई देवी कणगज्झयं रायं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-“एस णं पुत्ता ! डा
तव (पिता कणग रहे राया) रज्जे य जाव अंतेउरे य तुमं च तेयलिपुत्तस्स पहावेणं, तं तुमं णं दी 5 CHAPTER-14 : TETALIPUTRA
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