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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र "टा र सूत्र ३३ : ददुरस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? 15 गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। से णं ददुरे देवे आउक्खएणं भवक्खएणं, र ठिइक्खएणं, अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, बुज्झिहिइ, जाव अंतं करिहिइ।
5 सूत्र ३३ : गौतम स्वामी-"भंते दर्दुर देव की उस देवलोक में कितनी स्थिति है ?" 15 भगवान महावीर ने कहा-“गौतम ! उसकी देवलोक स्थिति चार पल्योपम कही गई है। उसके दा
र बाद यह दर्दुर देव आयु, भव और स्थिति के क्षय होने पर तत्काल च्यवन कर महाविदेह क्षेत्र में र जन्म लेकर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त हो समस्त दुःखों का अन्त करेगा।" > 33. “Bhante! What is the divine life-span of Dardur god?" 5 “Gautam! It is said that his divine life-span will be four Palyopam (a 5 superlative count of time). After that, on the termination of the divine life
span, life, and form, it will descend and take birth in the Mahavideh area P and be enlightened, end all sorrows, and be liberated.” 15 सूत्र ३४ : एवं खलु समणेणं भगवया महावीरेणं तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयमठे
र पण्णत्ते, त्ति बेमि। 15 सूत्र ३४ : जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने तेरहवें ज्ञात अध्ययन का यह अर्थ कहा है। मैंने ड
र जैसा सुना है वैसा ही कहता हूँ। 15 34. Jambu! This is the text and the meaning of the thirteenth chapter of S 12 the Jnata Sutra as told by Shraman Bhagavan Mahavir. So I have heard, so I Econfirm.
॥ तेरसमं अज्झयणं समत्तं ॥
॥ तेरहवाँ अध्ययन समाप्त ॥ JI END OF THE THIRTEENTH CHAPTER 11
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA
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