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क बारहवाँ अध्ययन : उदक ज्ञात
( ६९ ) SI 5 सूत्र ८ : तए णं जियसत्तू सुबुद्धिस्स अमच्चस्स एवमाइक्खमाणस्स एयमद्वं नो आढाइ, नो डा र परियाणइ, तुसिणीए संचिट्ठइ। 5 सूत्र ८ : राजा जितशत्रु ने अमात्य सुबुद्धि के इस कथन का न तो आदर किया और न र अनुमोदन। वह मौन ही रहा।
8. King Jitshatru neither accepted nor attested this statement of ŞI 2 Subuddhi; he remained silent. र खाई का दुर्गन्धित जल 5 सूत्र ९ : तए णं से जियसत्तू अण्णया कयाइ पहाए आसखंधवरगए महया भडचडगर पह- टा र आस-वाहणियाए निज्जायमाणे तस्स फरिहोदगस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ। 5 तए णं जियसत्तू राया तस्स फरिहोदगस्स असुभेणं गंधेणं अभिभूए समाणे सएणं र उत्तरिज्जेण आसगं पिहेइ, एगंतं अवक्कमइ, ते बहवे ईसर जाव पभिइओ एवं वयासी-'अहो णं दे 15 देवाणुप्पिया ! इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं गंधेणं रसेणं फासेणं। से जहानामए अहिमडे इ SI र वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पण्णत्ते।'
सूत्र ९ : एक बार जितशत्रु राजा स्नानादि करके उत्तम घोड़े पर सवार हो अपने अनेक र सैनिकों व सेवकों के साथ घुड़सवारी के लिए निकला। घूमते-घूमते वह उस खाई के निकट जाट 15 पहुँचा।
र वहाँ उस खाई के गंदे पानी से निकली अशुभ-गंध से घबराकर राजा ने अपने उत्तरीय वस्त्र से टी 5 मुँह बँक लिया। एक तरफ जा कर वह अपने साथ आये अन्य राजा, राजकुमार आदि से बोला___“अहो देवानुप्रियो! इस खाई का पानी तो वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से अशुभ है अमनोज्ञ है। र यह तो सादि की मृत देह से भी अधिक दुर्गन्धपूर्ण है।"
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NKING WATER
9. One day, after his bath (etc. ) King Jitshatru set out for horse riding c with some of his personal staff and cavalry of guards. During his ride he ci
came near the above detailed ditch. 5 Hit by the acute repulsive stink emanating from the slimy water in the ci
ditch he became sick and covered his nose with his shawl. He rushed away from there and commented to the princes and other guests—“Beloved of gods! S
The water of this ditch is foul and repulsive in colour, smell, taste, and touch. 5 Its stench is much more foul than that of animal carcasses." 5 CHAPTER-12 : THE WATER
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