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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
various entertainment centres, gardens, parks, jungles, forests; amidst trees, shrubs, shrubberies, creepers, etc. ; and near caves, gorges, lakes, ponds, pools, rivers, streams, banks, junctions, etc. She would go and stand at such enchanting spots; take bath; touch leaves, flowers, fruits, and sprouts tenderly; smell the flowers; and eat and distribute fruits. Indulging happily in such playful activities she started satisfying her pregnancy desire.
सूत्र ५६. तए णं सा धारिणी देवी सेयणगगंधहत्थिं दुरूढा समाणी सेणिए णं हत्थखंधवरगए णं पिट्टओ पिट्टओ समणुगम्ममाणमग्गा हयगय जाव रहेणं जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ । उवागच्छित्ता रायगिहं नगरं मज्झं मज्झेणं जेणामेव स भवणे तेणामेव उवागच्छति । उवागच्छित्ता विउलाई माणुस्साई भोगभोगाई जाव विहरति ।
सूत्र ५६. दोहद पूर्ण होने के बाद धारिणी देवी पुनः अपने सेचनक हाथी पर सवार हुईं। राजा श्रेणिक भी अपने हाथी पर सवार हुए और जैसे आये थे वैसे ही सेना व वैभव से राजगृह नगर के बीच होते हुए अपने महलों में लौटे और सुखमय जीवन व्यतीत करने लगे।
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56. After fulfilling her Dohad Queen Dharini and King Shrenik rode their respective elephants and returned back to Rajagriha with all the usual pomp and show. Returning to their palace they resumed their normal happy routine of life.
देव का विसर्जन
सूत्र ५७. तए णं से अभयकुमारे जेणामेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छइ । उवागच्छत्ता पुव्वसंगतियं देवं सक्कारेइ, सम्माणेइ । सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेति ।
तणं से देवे सगज्जियं पंचवण्णं महोवसोहियं दिव्वं पाउससिरिं पडिसाहरति, पडिसाहरित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए, तामेव दिसिं पडिगए ।
सूत्र ५७. यह कार्य सम्पन्न हुआ जान अभयकुमार पौषधशाला में लौटे और उस देव को सत्कार-सम्मान सहित कृतज्ञ भाव से विदा किया ।
उस देव ने अभयकुमार से विदा लेने के बाद अपनी दिव्य शक्ति द्वारा प्रकट की वर्षा ऋतु को वापस समेट लिया और अपने स्थान को प्रस्थान किया ।
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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Oran
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