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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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देवाणुप्पिया ! रायगिहं नयरं सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु आसित्तसित्त जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह। करित्ता य मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह।' तते णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणन्ति।
सूत्र ५१. राजा श्रेणिक यह सुनकर अति प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने सेवकों को बुलाकर आज्ञा दी, "देवानुप्रियो ! राजगृह नगर के शृंगारकादि (पूर्व सम) सभी स्थानों की सफाई आदि करवाकर गंधमय कर दो (पूर्व सम)। यह काम पूरा करके तत्काल मुझे सूचित करो।" सेवकगण शीघ्र ही राजाज्ञा का पालन कर सूचित करते हैं। ___51. King Shrenik was very much pleased to hear this. He called his attendants and ordered, “O beloved of gods! Go, arrange for immediate cleaning of all the areas (as detailed earlier) of Rajagriha and fill the town with fragrant aromas, and report back.” The attendants completed the assignment quickly and reported back.
सूत्र ५२. तए णं से सेणिए राया दोच्चं पि कोइंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-“खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हय-गय-रह-जोहपवरकलितं चाउरंगिणिं सेन्नं सन्नाहेह, सेयणयं च गंधहत्थिं परिकप्पेह।"
ते वि तहेव जाव पच्चप्पिणंति।
सूत्र ५२. श्रेणिक राजा पुनः आज्ञा देते हैं, “देवानुप्रियो ! जल्दी से घोड़े, हाथी, रथ व सैनिकों सहित चतुरंगिनी सेना सजाओ और सेचनक नाम के गंध-हस्ति को भी तैयार करो।" सेवक राजाज्ञा का पालन कर लौटकर सूचित करते हैं।
52. King Shrenik further ordered, “O beloved of gods! Go and prepare the four pronged army to march and also the Sechanak elephant for a ride.” The attendants completed the assignment quickly and reported back.
सूत्र ५३. तए णं से सेणिए राया जेणेव धारिणी देवी तेणामेव उवागच्छति। उवागच्छित्ता धारिणिं देविं एवं वयासी-“एवं खलु देवाणुप्पिए ! सगज्जिया जाव पाउससिरी पाउब्भूता, तं णं तुम देवाणुप्पिए। एयं अकालदोहलं विणेहि।"
सूत्र ५३. तब राजा श्रेणिक धारिणी देवी के पास गये और कहा-“हे देवानुप्रिये ! तुम्हारी अभिलाषा के अनुरूप सभी मनोरम चिह्नों सहित दिव्य वर्षा ऋतु की छटा छा गई है। अतः हे देवानुप्रिये ! तुम अपना अकाल-दोहद सम्पन्न करो।"
MHINA
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SUTRA
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