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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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He reached over the Vaibharagiri mountain. There, with the help of the divine process of Vaikriya Samudghat (as described above), he created an enchanting atmosphere of monsoon with thundering and lightening multi-coloured monsoon clouds. He returned to Abhay Kumar and said
"O beloved of gods! I have created the divine monsoon season with all necessary attributes. Your step-mother may fulfill her Dohad now." दोहद पूर्ति
सूत्र ५0. तए णं से अभयकुमारे तस्स पुव्वसंगतियस्स देवस्स सोहम्मकप्पवासिस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हतुढे सयाओ भवणाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल. अंजलिं कटु एवं वयासी
“एवं खलु ताओ ! मम पुव्वसंगतिएणं सोहम्मकप्पवासिणा देवेणं खिप्पामेव सगज्जिया सविज्जुया पंचवन्न-मेहनिनाओवसोहिआ दिव्वा पाउससिरी विउव्विया। तं विणेउ णं मम चुल्लमाउया धारिणी देवी अकालदोहलं।" ___ सूत्र ५0. सौधर्मदेव की यह बात सुनकर अभयकुमार प्रसन्न हुए। अपने महल से निकल वे राजा श्रेणिक के पास गये और हाथ जोड़कर बोले
“हे तात ! मेरे पूर्व भव के मित्र सौधर्मकल्प के निवासी देव ने सभी वांछित गुणों सहित दिव्य वर्षा ऋतु की रचना कर दी है। अतः छोटी माता अपना अकाल-दोहद पूर्ण करें।"
DOHAD FULFILLMENT
50. Abhay Kumar was pleased to get this information from the Saudharma-god. Leaving his palace he went to King Shrenik and joining his palms he said
“Father! A friend from my earlier birth, the god from the Saudharma Kalp, has created the divine monsoon season with all necessary attributes. As such, my step-mother may fulfill her Dohad now."
सूत्र ५१. तए णं से सेणिए राया अभयस्स कुमारस्स अंतिए एयम8 सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ट जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावित्ता एवं वयासी-“खिप्पामेव भो
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CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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