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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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48. Hearing this divine voice of his friend, hovering in the sky, Abhay Kumar was pleased. Concluding his ritual practice and joining his palms in greeting he said, “O beloved of gods! My step-mother Queen Dharini is obsessed with the Dohad of untimely-clouds (as described above). It is my wish that you help her fulfill her Dohad." अकाल-मेघ विक्रिया
सूत्र ४९. तए णं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुढे अभयकुमारं एवं वयासी-“तुमं णं देवाणुप्पिया ! सुणिव्यवीसत्थे अच्छाहि। अहं णं तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं डोहलं विणेमीति' कटु अभयस्स कुमारस्स अंतियायो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता उत्तरपुरच्छिमे णं वेभारपव्वए वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, समोहण्णइत्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निसिरति, जाव दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, समोहण्णित्ता खिप्मामेव सगज्जियं सविज्जुयं सफुसियं तं पंचवण्णमेहणिणाओवसोहियं दिव्यं पाउससिरिं विउव्वेइ। विउव्वेइत्ता जेणेव अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अभयं कुमारं एवं वयासी___ एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए तव पियट्टयाए सगज्जिया सफुसिया सविज्जुया दिव्वा पाउससिरी विउव्विया। तं विणेउ णं देवाणुप्पिया ! तव चुल्लमाउया धारिणी देवी अयमेयारूवं अकालडोहलं।
सूत्र ४९. अभयकुमार की बात सुन देव प्रसन्न हुआ और बोला-“देवानुप्रिय ! तुम चिंता छोड़ आश्वस्त हो जाओ, मैं तुम्हारी छोटी माता के दोहद के पूर्ण होने का प्रबन्ध कर देता हूँ।" इस प्रकार कहकर वह देव उत्तर-पूर्व दिशा में वैभारगिरि के ऊपर जाता है और वैक्रिय समुद्घात (पूर्व वर्णित विधि से) करके गरजते हुए, बिजली भरे, पानी की बूंदों से भरे पंचरंगे बादलों सहित मनोरम वर्षा ऋतु के वातावरण की रचना करता है। तत्पश्चात् अभयकुमार के पास लौटकर कहता है
"हे देवानुप्रिय ! मैंने तुम्हारी प्रसन्नता के लिए सभी वांछित गुणों सहित दिव्य वर्षा ऋतु की रचना कर दी है। अब तुम्हारी छोटी माता अपना दोहद पूर्ण करें।" CREATION OF UNTIMELY RAIN CLOUDS ___49. The god was pleased to hear Abhay Kumar's desire. He said, “O beloved of gods! Stop worrying. Rest assured, I shall make all arrangements for the fulfillment of your step-mother's Dohad of untimely-clouds.” The god, then, proceeded in the north-west direction.
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JNĀTĀ DHARMA KATHĂNGA SŪTRA
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