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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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में अकाल-मेघ के समय विचरण का दोहद उत्पन्न हुआ है (विस्तृत विवरण पूर्व सम)। मुझे उनके इस दोहद को पूर्ण करने के उपाय नहीं सूझ रहे हैं। इसी कारण मेरे मन को ठेस पहुँची है, मैं उत्साहहीन और चिन्तातुर हूँ। इस अनमनेपन के कारण ही मुझे तुम्हारे आने का आभास भी नहीं हुआ। हे पुत्र ! यही मेरी चिन्ता है।" ___41. King Shrenik replied, “Son! Your step-mother, Queen Dharini, is in the third month of her pregnancy. This is the period of the pregnancy-desire and she has got a Dohad of roaming around and enjoying untimely rain-clouds (details as mentioned earlier). I am unable to think of some way to fulfill her desire. This hurts me and makes me disconcerted and anxious. As I was absorbed in these thoughts I was not aware of your arrival. Son! this is what plagues me."
अभय का आश्वासन
सूत्र ४२. तए णं से अभयकुमारे सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमटुं सोच्चा णिसम्म हट्ट जाव हियए सेणियं रायं एवं वयासी-'मा णं तुब्भे ताओ ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह। अहं णं तहा करिस्सामि, जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ" त्ति कटु सेणियं रायं ताहिं इट्टाहिं कंताहिं जाव समासासेइ। _सूत्र ४२. राजा श्रेणिक की बात सुन-समझकर अभयकुमार को संतोष हुआ। पिता उस पर भरोसा करते हैं यह जानकर उन्हें हर्ष हुआ। वे राजा श्रेणिक से बोले-“हे तात ! आप निराश हो चिन्ता न करें। मैं ऐसा कुछ करूँगा जिससे मेरी छोटी माता, धारिणी देवी का यह दोहद पूरा होगा।" यह कह कर उचित शब्दों व वाणी से उन्होंने राजा श्रेणिक को आश्वस्त किया।
ASSURANCE BY ABHAY
42. When Abhay Kumar heard about the problem from King Shrenik he became pleased and contented by this expression of confidence in him by the king. With all confidence and in forceful words he assured the king, "Father! please get rid of your anxiety and do not loose hope. I will do something and ensure that my step-mother, Queen Dharini, is able to fulfill her Dohad."
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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