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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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स्नेह से माथा सूंघते थे। पर आज तो यह सब कुछ नहीं कर रहे हैं। लगता है उनके किसी संकल्प को ठेस पहुंची है और वे चिन्तित हैं। इसका जो भी कारण हो उसका पता करना मेरा कर्तव्य है।" यह विचार कर अभयकुमार राजा श्रेणिक के पास आये और यथाविधि
अभिवादन कर कहा___ “हे तात ! मेरे उपस्थित होने पर आप मेरा अभिवादनादि करते थे किन्तु आज वह सब कुछ नहीं कर रहे हैं। लगता है आप किसी कारणवश चिन्ताग्रस्त हैं। अतः हे तात ! आप मुझसे वह कारण गोपनीय न रखें, निःसंकोच, बिना लाग-लपेट और किसी शंका के ज्यों का त्यों स्पष्ट और सत्य बता दीजिये। मैं उसे जानकर, उसका निवारण कर आपकी चिन्ता दूर करूँगा।"
40. "Normally, when I arrived King Shrenik used to welcome me, greet me with due respect and regard, talk to me, offer me to share his seat, and kiss my forehead affectionately. But today he is doing nothing of that sort. It seems that some of his desires has been frustrated and he is worried. Whatever be the cause, it is my duty to find out.” With these thoughts Abhay Kumar approached King Shrenik and after formal greetings inquired
“Father ! In past you used to receive me affectionately (etc.) but today you are not extending that normal welcome to me. It seems that something is worrying you. Please father! do not hide anything from me. Without any hesitation, doubt, or reservation kindly reveal the truth candidly. Once I know about it I will solve the problem and rid you of your anxiety."
सूत्र ४१. तए णं सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे अभयं कुमारं एव वयासी-एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए तस्स गब्भस्स दोसु मासेसु अइक्तेसु तइयमासे वट्टमाणे दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे दोहले पाउब्भवित्थाधन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव विणिंति। तए णं अहं पुत्ता ! धारिणीए देवीए तस्स अकालदोहलस्स बहूहिं आएहिं य उवाएहिं जाव उप्पत्तिं अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायामि, तुमं आगयं पि न याणामि। तं एतेणं कारणेणं अहं पुत्ता ! ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि।
सूत्र ४१. राजा श्रेणिक ने उत्तर दिया-“पुत्र ! तुम्हारी छोटी माता, धारिणी देवी, को गर्भवती हुए दो माह बीत चुके हैं और तीसरा माह चल रहा है। उन्हें अपने इस दोहद काल
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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