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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र /
deep and evaluative contemplation. They consulted with each other in an in-depth discussion about the meaning and indications of the dream. When they reached a unanimous agreement about the meaning of the dream they conveyed their opinion, based on the relevant scriptures, to King Shrenik
सूत्र २५. एवं खलु अम्हं सामी ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा, तीसं महासुमिणा बावत्तरिं सव्वसुमिणा दिट्ठा। तत्थं णं सामी ! अरहंतमायरो वा, चक्कवट्टिमायरो वा अरहंतंसि वा चक्कवट्टिसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं इमे चोद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झन्तितं जहा
गय-उसम-सीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं।
पउमसर-सागर-विमाण-भवण-रयणुच्चय-सिहिं च॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोइसण्हं महासुमिणाणं अन्नतरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झन्ति।
बलदेवमायरो वा बलदेवंसि-गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अण्णयरे चत्तारि महासुमिणे पसित्ता णं पडिबुझंति।
मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गब्भं वक्कमणाणंसि एएसिं चोइसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरं एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुज्झन्ति।
सूत्र २५. “हे स्वामी ! हमारे स्वप्न शास्त्र के अनुसार बयालीस स्वप्न और तीस महास्वप्न, यों कुल बहत्तर स्वप्न बताए गये हैं। हे स्वामी ! जब अरहंत अथवा चक्रवर्ती गर्भ में आते हैं तब उनकी माताएँ तीस महास्वप्नों में से ये चौदह महास्वप्न देखकर जागती हैं
१. हाथी, २. वृषभ, ३. सिंह, ४. लक्ष्मी-अभिषेक, ५. पुष्पमाला, ६. चन्द्र, ७. सूर्य, ८. ध्वजा, ९. पूर्ण कुंभ, १०. पद्म सरोवर, ११. क्षीर सागर, १२. देव-विमान (अथवा भवन), १३. रत्न-राशि, तथा १४. निधूम अग्नि। ___ जब वासुदेव गर्भ में आते हैं तब उनकी माताएँ इन चौदह स्वप्नों में से कोई भी सात स्वप्न देखकर जागती हैं।
जब बलदेव गर्भ में आते हैं तब उनकी माताएँ इन महास्वप्नों में से कोई भी चार स्वप्न देखकर जागती हैं।
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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