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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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Maan
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seats offered to them and the king honoured them by offering flowers, fruits, and garments.
सूत्र २३. तए णं सेणिए राया जवणियंतरियं धारिणिं ठवेइ, ठवेत्ता पुप्फ-फल-पडिपुण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुमिणपाढए एवं वयासी-एवं खल देवाणुप्पिया ! धारिणी देवी अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि जाव महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुद्धा। तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! उरालस्स जाव सस्सिरीयस्स महासुमिणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?
सूत्र २३. श्रेणिक राजा ने धारिणी रानी को पर्दे के पीछे बिठाया और हाथ में फल-फूल लेकर विनयपूर्वक उन पंडितों से कहा-“हे देवानुप्रियो ! आज रात्रि में धारिणी रानी ने (पूर्व वर्णन के अनुसार) एक महास्वप्न देखा और जाग पड़ीं। हे देवानुप्रियो ! मेरा अनुमान है कि इस उदार महास्वप्न का कोई विशेष कल्याणकारी फल होना चाहिए।"
23. Queen Dharini took her seat behind the screen. King Shrenik took flowers and fruits in hand and addressed the scholars, "O beloved of gods! Queen Dharini saw a dream last night and got up (he gave details as mentioned earlier). I assume that this great and auspicious dream is an indication of some special achievement in the future.” स्वप्न-पाठकों द्वारा फलादेश
सूत्र २४. तए णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया तं सुमिणं ओगिण्हंति। ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता
अन्नमन्त्रेणं सद्धिं संचालेंति, संचालित्ता तस्स सुमिणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा सेणियस्स रण्णो पुरओ सुमिणसत्थाई उच्चारेमाणा उच्चारेमाणा एवं वयासी
सूत्र २४. श्रेणिक राजा का यह कथन सुन स्वप्न पाठक संतुष्ट व प्रसन्न हुए। पहले उन्होंने उस स्वप्न के विषय में सामान्य रूप से विचार किया और फिर अर्थ पर विशेष रूप से चिन्तन किया। परस्पर विचार-विमर्श कर, एक-दूसरे का अभिप्राय समझ स्वप्न के साथ ही उसके अर्थ की गहराई तक पहुँचे। जब वे इस विषय में एकमत हो गए तब श्रेणिक राजा से स्वप्नशास्त्र के नियमानुसार अपना मंतव्य कहने लगे
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INTERPRETATION BY DREAM-DIVINERS
24. The dream diviners were happy to hear the words of King Shrenik. They first gave a cursory thought to the dream and then a
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SHARA
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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