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अप्प-महग्घाभरणालंकिय-सरीरा हरियालिय-सिद्धत्थकयमुद्धाणा सएहिं सएहिं गिहेहिंतो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता रायगिहस्स मज्झमज्झेण जेणेव सेणियस्स रन्नो भवणवडेंसगदुवारे तेणेव उवागच्छंति । उवागच्छित्ता एगयओ मिलन्ति, मिलित्ता सेणियस्स रन्नो भवणवडेंसगदुवारेणं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव सेणिये राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेंति। सेणिएणं रन्ना अच्चिय-वंदिय - पूइय-माणिय-सक्कारिय सम्माणिया समाणा पत्तेयं पत्तेयं पुव्वन्नत्थेसु भद्दासणेसु निसीयंति ।
सूत्र २२. यह निमन्त्रण पाकर वे पण्डित हर्षित हुए और स्नान व बलिकर्म - कुल देवता का पूजन आदि कर उन्होंने तिलक आदि लगाये। सभी मांगलिक और प्रायश्चित्त अनुष्ठान (दही, अक्षत, सरसों, दूब आदि मांगलिक वस्तुओं से अशुभ स्वप्न, शकुन आदि के दोष दूर करना) पूरे कर वे तैयार हुए। राजसभा में जाने योग्य शुद्ध, मांगलिक वस्त्र तथा भार में हल्के परन्तु मूल्यवान गहने धारण किये और मंगल हेतु सरसों, दूब आदि मस्तक पर रखकर अपने घरों से बाहर निकले। राजगृह नगर के बीच होते हुए वे राजा श्रेणिक के विशाल भवन के द्वार पर आए। वहाँ एकत्र होकर वे सब साथ मिलकर बाहरी सभा मण्डप में राजा श्रेणिक के पास आए और हाथ जोड़ जय-जयकार कर राजा को बधाई दी। राजा श्रेणिक ने उन पंडितों को नमस्कार किया; चन्दन तिलक आदि लगाकर उनकी अर्चना की तथा आदर-सत्कारपूर्वक मधुर स्वर में उनका बहुमान किया। फिर वे सब अपने लिए नियत भद्रासनों पर क्रमशः बैठ गए। राजा ने पुष्प, फल, वस्त्र आदि भेंटकर उनका सम्मान किया।
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22. The scholars felt pleased and honoured getting the invitation. After taking there bath they completed their ritual routines of awakening protective spirits, repentance for mistakes, offerings to gods, using auspicious things like curd, rice, mustard, grass, etc. Putting auspicious marks on their foreheads, they dressed themselves in clean and sober costumes suitable for the king's assembly. They embellished themselves with light but rich ornaments. As an auspicious ritual they put mustard and grass on their heads and came out of their houses. Passing through the town they approached the gate of the great palace of King Shrenik. After assembling at the gate they entered the hall in a group and went near the king. Joining their palms they greeted the king, wishing him success and victory, and blessed him. King Shrenik, folding his hands, greeted the pundits sweetly giving them due respect and recognition. The scholars took the
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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