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________________ OR आठवाँ अध्ययन : मल्ली सूत्र ५५. अकाल गर्जना होने लगी, अकाल ही बिजली चमकने लगी। अकाल ही M आकाश में मेघ घिर आये और घन गर्जना होने लगी और इन सबके अतिरिक्त एक महापिशाच की आकृति दिखाई दी । 55. There were unexpected thunder and lightning. Suddenly the horizon was full of dense and thundering dark clouds. Besides these a giant demonic shape appeared. Jain Education International सूत्र ५६. तालजंघं दिवं गयाहिं बाहाहिं मसिमूसगमहिसकालगं, भरिय- मेहवन्नं, लंबोट्टं, निग्गयग्गदंतं, निल्लालियजमलजुयलजीहं, आऊसिय-वयणगंडदेसं, चीणचिपिटनासियं, विगयभुग्गभुग्गभुमयं खज्जोयग दित्तचक्खुरागं, उत्तासणगं, विसालवच्छं, विसालकुच्छिं, पलंबकुच्छिं, पहसियपयलियपयडियगत्तं, पणच्चमाणं, अप्फोडतं, अभिवयंतं, अभिगज्जंतं, बहुसो बहुसो अट्टट्टहासे विणिम्मुयंतं नीलुप्पलगवलगुलिय-अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं गहाय अभिमुहमावयमाणं पासति । सूत्र ५७. तए णं ते अरहण्णगवज्जा संजत्ताणावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं पासंति- तालजंघ, दिवं गयाहिं बाहाहिं, फुट्टसिरं भमर- णिगरवरमासरासिमहिसकालगं, भरियमेहवण्णं, सुप्पणहं, फालसरिसजीहं, लंबोट्टं धवल- वट्टअसिलिट्ठ-तिक्ख-थिर-पीण-कुडिल-दाढोवगूढवयणं, विकोसिय-धारासिजुयल - समसरिसतणुयचंचल-गलंतरसलोल-चवल-फुरुफुरंत निल्लालियग्गजीहं अवयत्थिय-महल्ल-विगयबीभच्छ-लालपगलंत-रत्ततालुय हिंगुलुय-सगब्भकंदर- बिलं व अंजणगिरिस्स, अग्गिजालुग्गिलंतवयणं आऊसिय- अक्खचम्म - उइट्टगंडदेसं चीण - चिविड-वंक - भग्गणासं, रोसागय-धम-धमेन्त-मारुय-निठुर-खर- फरुसझुसिरं, ओभुग्गणासियपुडं घाडुब्भड - रइयभीसणमुहं उद्धमुहकन्न सक्कुलिय-महंत - विगय- लोम-संखालग -लंबंत-चलियकन्नं, पिंगलदिप्पंतलोयणं, भिउडितडियनिडालं नरसिरमाल - परिणद्धचिंद्धं, विचित्तगोणससुबद्धपरिकरं अवहोलंत-पुप्फुयायंत-सप्पविच्छुय-गोधुंदर-नउ-लसरड-विरइय-विचित्तवेयच्छमालियागं, भोगकूर-कण्हसप्पधमधमेंतलंबंतकन्नपूरं, मज्जार - सियाल - लइयखंधं, दित्तघुघुयंतघूयकयकुंतलसिरं, घंटारवेण भीमं भयंकर, कायरजणहिययफोडणं, दित्तमट्टट्टहासं विणिम्मुयंतं, वसा - रुहिर-पूय-मंस-मलमलिणपोच्चडतणुं, उत्तासणयं, विसालवच्छं, पेच्छंता, भिन्नणह - मुह- नयण-कन्नं वरवग्घ-चित्तकत्तीणिवसणं, सरस- रुहिरगयचम्म-वितत ऊसविय-बाहुजुयलं, ताहि य खर- फरुस-असिणिद्ध- अणिट्ठ- दित्त-असुभअप्पिय-अकंतवग्गूहि य तज्जयंतं पासंति । (389) CHAPTER-8: MALLI , For Private Personal Use Only (349) www.jainelibrary.org
SR No.007650
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1996
Total Pages492
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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