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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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सूत्र १८. तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता बहूणि चउत्थ जाव विहरति।
सूत्र १८. स्थविर भगवन्त की आज्ञा प्राप्त कर महाबल आदि सातों अनगारों ने सूत्रानुसार विधि से तप सम्पन्न किया। तत्पश्चात् वे स्थविर भगवन्त के पास लौटे, उन्हें यथाविधि वन्दना कर सामान्य व्रत-उपवास करते जीवन बिताने लगे। ____18. With the permission of the senior ascetic and according to the procedure prescribed in the scriptures the seven ascetics completed the penance. They came to the senior ascetic and after offering him salutations they resumed their normal ascetic life observing the simple penances. समाधिमरण __ सूत्र १९. तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं उरालेणं तवोकम्मेणं सुक्का भुक्खा जहा खंदओ, नवरं थेरे आपुच्छित्ता चारुपव्वयं दुरूहंति। दुरूहित्ता जाव दोमासियाए संलेहणाए सवीसं भत्तसयं अणसणं, चउरासीइं वाससयसहस्साई सामण्णपरियागं पाउणंति, पाउणित्ता चुलसीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववन्ना। __ तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। तत्थ णं महब्बलंवज्जाणं छण्हं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई, महब्बलस्स देवस्स पडिपुण्णाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता।
सूत्र १९. ये सातों अनगार इस कठोर तप के कारण स्कन्दक मुनि (भगवतीसूत्र) के समान दुबले और तेजहीन हो गये। उन्होंने स्थविर भगवंत से आज्ञा ली और चारु पर्वत पर चले गये। वहाँ उन्होंने दो महीने की संलेखना कर शरीर त्याग दिया। वे सातों अनगार चौरासी लाख वर्षों तक श्रमण जीवन बिता, चौरासी लाख पूर्व की पूर्ण आयु में देवलोक गये। जयंत नाम के तीसरे अनुत्तर विमान में देवरूप में उनका जन्म हुआ। ___ जयंत विमान में उत्कृष्ट स्थिति बत्तीस सागरोपम की बताई है। महाबल की देव आयुष्य पूरे बत्तीस सागरोपम की हुई और अन्यों की उससे कुछ वर्ष कम। HEDITATION UNTO DEATH
19. As a result of this extreme penance all the seven ascetics became dull and weak like Skandak Muni (as detailed in Bhagavati
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JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA
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