________________
पंचम अध्ययन : शैलक
( २५५ )
स्या
m
GARH आउटस्टा
EN
C
सूत्र ३४. एवामेव सुदंसणा ! तुब्भं पि पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि सोही, जहा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव पक्खालिज्जमाणस्स नत्थि सोही। __ "सुदंसणा ! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं सज्जियाखारेणं अणुलिंपइ, अणुलिंपित्ता पयणं आरुहेइ, आरुहित्ता उण्हं गाहेइ, गाहित्ता तओ पच्छा सुद्धेणं वारिणा धोवेज्जा से णूणं सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स सज्जियाखारेणं अणुलित्तस्स पयणं आरुहियस्स उण्हं गाहियस्स सुद्धणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स सोही भवइ ?"
“हंता भवइ।"
एवामेव सदसणा ! अम्हं पि पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं अत्थि सोही, जहा वि तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स जाव सुद्धणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि सोही।
सूत्र ३४. "उसी प्रकार, हे सुदर्शन ! तुम्हारे मतानुसार भी प्राणातिपात आदि कर्मों द्वारा शुद्धि नहीं हो सकती। ___ "हे सुदर्शन ! कोई व्यक्ति एक रक्त से सने कपड़े को खार के पानी में भिगोये, चूल्हे पर चढ़ाकर उबाले और तब स्वच्छ जल से धोवे तो निश्चय ही वह रक्त सना वस्त्र स्वच्छ-शुद्ध हो जाता है या नहीं?"
“जी हाँ ! हो जाता है।" ___ "उसी प्रकार, हे सुदर्शन ! हमारे धर्म के अनुसार भी अहिंसा आदि से शुद्धि हो जाती है।"
34. “Similarly Sudarshan! Even according to your views purity cannot be achieved through such acts as violence.
"Sudarshan! If a person puts a blood stained cloth in a solution of caustic soda, boils it, and then rinses it with clean water, would that blood stained cloth become clean and pure or not?"
“Yes, it certainly would."
“Similarly, Sudarshan! according to my religion purity is achieved through the practice of disciplines like Ahimsa."
SARANG
BARMINGI
सपना
SH
CHAPTER-5 : SHAILAK
(255)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org