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By following this religion, based on two types of discipline, a being sheds all the eight categories of Karma in due course and attains liberation."
सुदर्शन का धर्म-परिवर्तन
सूत्र ३२. तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी - "तुब्भे णं सुदंसणा ! किंमूलए धम्मे पण्णत्ते ? "
“अम्हाणं देवाणुप्पिया ! सोयमूले धम्मे पण्णत्ते, जाव सग्गं गच्छति । ”
सूत्र ३२. फिर थावच्चापुत्र ने सुदर्शन से कहा - " हे सुदर्शन ! तुम्हारे धर्म का मूल क्या कहा गया है ?"
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
उसने उत्तर दिया- "देवानुप्रिय ! हमारा धर्म शौचमूलक कहा गया है और इसी से जीव स्वर्ग में जाते हैं (शुक के कथन के समान ) । "
CONVERSION OF SUDARSHAN
32. Now Thavacchaputra asked Sudarshan, "Sudarshan! What is the basis of your religion?"
He replied, "Beloved of gods! my religion is based on cleansing and, a being goes to heaven only by practicing it. (details as per Shuk's statement)
सूत्र ३३. तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी - " सुदंसणा ! जहानामए केई पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेज्जा, तए णं सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स रुहिरेण चेव पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि कोइ सोही ? "
" णो तिणट्टे समट्टे ।"
सूत्र ३३. थावच्चापुत्र ने सुदर्शन से प्रश्न किया- " हे सुदर्शन ! कोई पुरुष रक्त के दाग वाले एक वस्त्र को रक्त से ही धोये तो क्या वह स्वच्छ-शुद्ध हो जायेगा ?"
सुदर्शन ने उत्तर दिया- " यह ठीक नहीं है, ऐसा नहीं हो सकता । "
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33. Thavacchaputra put a question before Sudarshan, "Sudarshan! If a person washes a blood stained cloth with blood only, would it become clean and pure?"
Sudarshan replied, "That is not right and it is not possible."
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