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तृतीय अध्ययन : अंडे
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सूत्र ७. एक दिन दोपहर के भोजन के बाद वे सार्थवाहपुत्र आचमन कर, स्वच्छपवित्र होकर सुखासनों पर बैठे और परस्पर बातें करने लगे-“हे देवानुप्रिय ! क्या ही अच्छा हो कि कल प्रातःकाल विपुल अशनादि आहार सामग्री तथा धूप, पुष्प, गंध, वस्त्र साथ लेकर देवदत्ता गणिका के साथ सुभूमिभाग. उद्यान की छटा का आनन्द लेते हुए विहार करें।" दोनों इस प्रस्ताव से सहमत हो गये और अगले दिन सुबह सेवकों को बुलाकर कहा____ “देवानुप्रियो ! तुम लोग जाओ और विपुल अशनादि खाद्य सामग्री तैयार करो। फिर वह सामग्री और धूप, गंध पुष्पादि लेकर सुभूमिभाग उद्यान में नन्दा पुष्करिणी के निकट जाओ। वहाँ नदी के तट पर शामियाने से एक मण्डप तैयार करो। पानी छिड़ककर, साफ कर, लीप-पोतकर सुगंधादि से उसे रम्य बनाओ। यह काम पूरा कर तुम वहीं पर हमारी राह देखना।'' इस प्रकार सेवक आज्ञानुसार कार्य सम्पन्न कर वहीं ठहर गये। PREPARATIONS FOR AN OUTING ___7. After lunch, one day, both the merchant boys washed their hands and sat down to chat, “Beloved of gods ! How nice it would be if tomorrow morning we collect ample food stuff, incense, flowers, perfumes, dresses, etc., take along Devdatta courtesan and go to Subhumibhag garden to enjoy its beauty and entertain ourselves.”
They both agreed and next morning called their staff and said, "Beloved of gods ! Go and cook a lot of food and other delicacies. Pack the food, collect incense, flowers, (etc. ) and go near the Nanda stream in the Subhumibhag garden. There, on the river bank raise a tent.
operly clean the inner area with water, and make it habitable by applying plaster, white wash, perfumes, etc. Wait there for us after you complete this work." The servants did as ordered. __ सूत्र ८. तए णं सत्थवाहदारगा दोच्चंपि कोडुबियपुरिसे सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी-"खिप्पामेव लहुकरणजुत्तजोइयं समखुर-वालिहाणं-समलिहियतिक्खग्गसिंगएहिं रययामय-सुत्तरज्जुय-पवरकंचण-खचिय-णत्थपग्गहोवग्गहिएहिं नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणि-रयण-कंचण-घंटियाजालपरिक्खित्तं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव पवहणं उवणेह।" ते वि तहेव उवणेन्ति।
सूत्र ८. सार्थवाहपुत्रों ने तब अन्य सेवकों को बुलाकर आज्ञा दी-“एक समान खुर और पूंछ वाले, एक ही तरह के रंग से रंगी चोटी के सींग वाले, चाँदी की घंटियाँ
AARVA
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CHAPTER-3 : ANDAK
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