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लटकाये, जरी वाली डोरी की नाथ से बँधे और नीलकमल की कलंगी से सजे उत्तम जवान बैल जिसमें जुते हों ऐसा रत्नों और सोने की घंटियों से सजा श्रेष्ठ लक्षणों वाला रथ ले आओ ।" सेवकों ने तत्काल आज्ञा के अनुरूप रथ ला उपस्थित किया ।
8. Now the merchant boys called other servants and said, "Arrange to get a beautiful chariot decorated with gem studded bells made of gold and drawn by young bullocks of good breed, having resembling hoofs, tails, and horns. These bullocks should be adorned with same colour on horn-tips, silver bells on the neck and brocade straps and bridles with blue lotuses fixed at the top." The servants carried out the order and brought the chariot at the gate.
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
उद्यान- भ्रमण
सूत्र ९. तए णं ते सत्थवाहदारगा व्हाया जाव सरीरा पवहणं दुरूहंति, दुरूहित्ता जेणेव देवदत्ता गणियाए गिहं तेणेव उवागच्छंति । उवागच्छित्ता पवहणाओ पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता देवदत्ताए गणियाए गिहं अणुपविसेन्ति ।
तए णं सा देवदत्ता गणिया सत्थवाहदारए एज्जमाणे पास, पासित्ता हट्ठट्ठा आसणाओ अब्भुट्टे, अब्भुट्टित्ता सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ते सत्थवाहदारए एवं वयासी - "संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमिहागमणप्पओयणं ? ”
सूत्र ९. दोनों सार्थवाहपुत्र स्नानादि कर्म से निवृत्त हो रथ बैठ देवदत्ता गणिका के आवास के सामने आये । रथ से उतरकर उन्होंने गणिका के घर में प्रवेश किया।
उन्हें आता देख देवदत्ता प्रसन्न हो अपने आसन से उठी और सात - आठ कदम आगे बढ़ी। उसने आगे बढ़कर सार्थवाहपुत्रों का स्वागत करते हुए कहा - "देवानुप्रियो ! कहिये क्रिस प्रयोजन से आना हुआ ?"
THE OUTING
9. Both the merchant boys got ready and riding in the chariot arrived at Devdatta's residence. They got down from the chariot and entered the premises.
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When Devdatta saw them coming she got up and advanced a few steps. She greeted the merchant-boys and said, "Beloved of gods ! Please tell me what brings you to me?"
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SUTRA
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