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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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DHANYA TURNS ASCETIC
42. Dhanya merchant got this news from a number of sources. He thought, “A highly virtuous senior ascetic has arrived in town. I should also go and pay my homage to him.” He got ready after a bath and put on a dress suitable for a religious assembly. He arrived at the Gunashil Chaitya walking, went near the ascetic and formally bowed before him. The senior ascetic gave a special discourse for him - सूत्र ४३. तए णं से धण्णे सत्थवाहे धम्म सोच्चा एवं वयासी-“सद्दहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं।" जाव पव्वइए। जाव बहूणि वासाणि सामण्ण-परियागं पाउणित्ता, भत्तं पच्चक्खाइत्ता मासियाए संलेहणाए सढि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने।
तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। तत्थ णं धण्णस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता।
से णं धण्णे देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खए णं ठिइक्खए णं भवक्खए णं अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिहिइ।
सूत्र ४३. धर्मोपदेश सुनकर धन्य सार्थवाह बोला-"भंते ! मैं निर्ग्रन्थ प्रवचन पर श्रद्धा करता हूँ।" यह कहकर उसने पूरी श्रद्धा के साथ प्रव्रज्या लेने की इच्छा प्रकट की (अ. १, सू. ११५ के समान)। फिर उसने प्रव्रज्या ग्रहण कर ली। अनेक वर्षों तक उसने श्रमण जीवन का पालन किया। अन्त में आहार त्यागकर एक महीने की संलेखना ग्रहण की, साठ-भक्त का त्याग किया और देह त्यागकर सौधर्म देवलोक में देव रूप में जन्म लिया।
सौधर्म देवलोक में कतिपय देवों की चार पल्योपम की आयुष्य होती है। धन्य नामक देव भी उन्हीं में से है। वह अपने आयुष्यकर्म की प्रकृति, स्थिति और भव का क्षय कर महाविदेह क्षेत्र में मनुष्य रूप में जन्म लेगा और उसी भव में सब दुःखों का अन्त कर सिद्धि प्राप्त करेगा।
43. After listening to the discourse Dhanya merchant said, "Bhante ! I have faith on the sermon of the Nirgranth." And he expressed his earnest desire to get initiated (same as Ch. 1, para 115). Consequently he was initiated. For many years he earnestly followed the ascetic discipline. Finally he accepted the ultimate vow and after a one month fast he breathed his last and was reborn as a god in the Saudharma dimension.
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JNATĂ DHARMA KATHĂNGA SUTRA
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