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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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सूत्र १६७. गौतम स्वामी ने फिर पूछा-"भगवन् ! वह मेघ देव देवलोक की आयु का, स्थिति का और भव का क्षय करके किस गति में जायेगा ? कहाँ जन्म लेगा ?"
167. Gautam Swami again asked, “Bhagavan! completing the age, state, and life of the dimension of gods to what form of life will god Megh go and where will he be born?"
अन्त में सिद्धि
सूत्र १६८. गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, बुझिहिइ, मुच्चिहिइ, परिनिव्वाहिइ, सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ।
सूत्र १६८. भगवान बोले-“हे गौतम ! वह महाविदेह में जायेगा और सिद्ध, बुद्ध, मुक्त हो निर्वाण प्राप्त कर सब दुःखों का अन्त करेगा।"
AT LAST, LIBERATION ___168. Bhagavan said, “Gautam! He will be born as a human being in the Mahavideh area and achieving purity, enlightenment, and freedom he will terminate all his miseries and attain Nirvana:":
सूत्र १६९. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थयरेणं जाव संपत्तेणं अप्पोपालंभनिमित्तं पढमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि।
सूत्र १६९. सुधर्मा स्वामी ने जम्बू स्वामी से कहा-“हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने ज्ञाता के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ इस प्रयोजन से कहा है कि हितेच्छु गुरु को अविनीत शिष्य को उपालम्भ देना चाहिए। ऐसा मैं कहता हूँ।"
169. Sudharma Swami told Jambu, “Jambu! Shraman Bhagavan Mahavir narrated this text of the first chapter of the Jnata Sutra in order to convey that a well wishing teacher should not hesitate to reprimand an undisciplined disciple. So I state."
॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ प्रथम अध्ययन समाप्त ॥
|| END OF THE FIRST CHAPTER ||
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CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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