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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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सूत्र १६२. " मैंने पहले भी भगवान महावीर के निकट समस्त हिंसा का त्याग किया है, मिथ्या, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह, मिथ्या दोषारोपण, चुगली, पराये दोषों का प्रकाशन, धर्म में अरति, अधर्म में रति, मायामृषा ( ठगी) और मिथ्यादर्शनशल्य इन सभी अठारह प्राप स्थानों का प्रत्याख्यान ( त्याग की प्रतिज्ञा ) किया है।
अब मैं पुनः भगवान के निकट हिंसादि इन सभी पाप स्थानों का प्रत्याख्यान करता हूँ और साथ ही अशन, पान, खादिम और स्वादिम चारों तरह के आहार का आजीवन प्रत्याख्यान करता हूँ। जो इष्ट, कान्त और प्रियादि है ( पूर्व सम) और जिसकी विविध रोग, आतंक, परीषह और उपसर्गों से पूर्ण रक्षा की है उस शरीर का भी मैं अंतिम साँस तक परित्याग करता हूँ अथवा उसके प्रति उदासीन होने का प्रण करता हूँ ।"
यह कहकर संलेखना अंगीकार कर, भोजन-पान का त्याग कर, पादोपगमन समाधि-मरण अंगीकार कर मेघ अनगार मृत्यु- कामनारहित हो धयानमग्न हो गये ।
उनके साथ रहे स्थविर तब उनका वैयावृत्य (सेवा) करने लगे ।
162. “Earlier, before Shraman Bhagavan Mahavir, I took an oath to refrain from indulging in all the eighteen sinful activities (Papasthan) including falsehood, grabbing, sex, hoarding, anger, conceit, illusion, greed, attachment, aversion, quarrel, false accusation, backbiting, revealing faults of others, dislike for true religion, liking for false religion, cheating, and pursuing false concepts.
Orego
"Now I once again take the oath in his name to refrain from indulging in all the eighteen sinful activities and at the same time I also take an oath for life to refrain from eating, drinking, satisfying the hunger and satisfying the taste buds. I also abandon this body that has been desired, adored, loved ( etc.) and fully protected by me from various ailments, terrors, afflictions, and adversities. In other words I take an oath to remain detached from my body till my last breath."
Saying thus ascetic Megh took the Sanlekhana vow, stopped taking food and water, accepted the vow of fasting till liberation and transcended into meditation without any desire for death.
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CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
The ascetics who accompanied him started taking care of him. सूत्र १६३. तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारसअंगाई अहिज्जित्ता बहुपडिपुन्नाई दुवालसवरिसाई
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Laparand
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