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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
"उखाड़कर सूँड में उठा एक ओर ले जाकर डाल दिया। फिर तुम उसी घेरे के पास विन्ध्याचल की तराई में पर्वनादि ( पूर्व वर्णित ) स्थानों में विहार करने लगे ।
CLEARING THE JUNGLE
135. “Megh! During the following monsoon season after the first heavy rains you came with your herd to the southern bank of the Ganges. There you marked a large area of one Yojan and cleared it of all the grass, leaves, logs, thorns, creepers, stumps, trees, and plants, uprooting them with legs and lifting and carrying them away with trunks. Accomplishing this you went into the nearby valley (detailed as earlier) and started wandering with your herd.
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सूत्र १३६. तए णं मेहा ! अन्नया कयाइ मज्झिमए वरिसारत्तंसि महावुट्टिकायंसि संनिवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि । उवागच्छित्ता दोच्चं पि मंडलं घाएसि । एवं चरिमे वासारत्तंसि महावुट्ठिकार्यसि सन्निवइयमाणंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि; उवागच्छित्ता तच्चं पि मंडलघायं करेसि । जं तत्थ तणं वा जाव सुहंसुहेणं विहरसि ।
सूत्र १३६. " हे मेघ ! वर्षा ऋतु की मध्य वृष्टि के बाद और अन्तिम वृष्टि के बाद भी तुमने उस घेरे में जाकर दुबारा उसी प्रकार सफाई कर दी और सुखपूर्वक घूमने लगे ।
136. “You repeated this operation after the mid-monsoon and the end-monsoon showers.
दावाग्नि
सूत्र १३७. अह मेहा ! तुमं गइंदभावम्मि वट्टमाणो कमेणं नलिणिवण - विहवणगरे हेमंते कुंद लोद्ध-उद्धत - तुसारपउरम्मि अइक्कंते, अहिणवे गिम्हसमयंसि पत्ते, वियट्टमाणो वणेसु वणकरेणुविविह-दिण्ण- कयपसवघाओ तुमं उउय - कुसुम कयचामर-कन्नपूरपरिमंडियाभिरामो मयवस - विगसंत-कड-तडकिलिन्न-गंधमदवारिणा सुरभिजणियगंधो करेणुपरिवारिओ उउ - समत्त - जणियसोभो काले दिणयरकरपयंडे परिसोसिय-तरुवरसिहर - भीमतर- दंसणिज्जे भिंगाररवंतभेरवरवे णाणाविहपत्त-कट्ठ-तण-कयवरुद्धतपइमारुयाइद्धनहयल-दुमगणे वाउलियादारुणयरे तण्हावस- दोसदूसिय-भमंत- विविह-सावयसमाउले भीमदरिसणिज्जे वट्टंते दारुणम्मि गिम्हे मारुयवसपसर - पसरियवियंभिए णं अब्भहिय-भीम-भैरव-रव-प्पगारेणं महुधारा-पडिय-सित्त- उद्धायमाण-धगधगंत-सदुद्धुए णं दित्ततरसफुलिंगेणं धूममालाउलेणं सावय-सयंतकरणेणं अब्भहियवणदवेणं
CHAPTER - 1 : UTKSHIPTA JNATA
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