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________________ ( ९८ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र सूत्र १०५. तए णं से कासवए सेणिए णं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव हियए जाव पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सुरभिणा गंधोदए णं हत्थपाए पक्खालेइ, पक्खालित्ता सुद्धवत्थेणं मुहं बंधति, बंधित्ता परेणं जत्तेणं मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पइ। __ सूत्र १०५. नाई राजा की बात सुन प्रसन्न हुआ और उनके निर्देशानुसार सावधानी से मेघकुमार के बाल काट दिये। ____105. The barber felt honoured to get this order from the king and cut Megh Kumar's hair short as per the instructions of the king. सूत्र १०६. तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया महरिहेणं हंसलक्खणेणं पडसाडए णं अग्गकेसे पडिच्छइ। पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदए णं पक्खालेति, पक्खालित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चाओ दलयति, दलइत्ता सेयाए पोत्तीए बंधेइ, बंधित्ता रयणसमुग्गयंसि पक्खिवइ, पक्खिवित्ता मंजूसाए पक्खिवइ, पक्खिवित्ता हार-वारिधार-सिन्दुवारछिन्नमुत्तावलि-पगासाइं अंसूई विणिम्मुयमाणी विणिम्मुयमाणी रोयमाणी रोयमाणी कंदमाणी कंदमाणी विलवमाणी विलवमाणी एवं वयासी-“एस णं अम्हं मेहस्स कुमारस्स अब्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जन्नेसु य पव्वणीसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सइ त्ति कटु उस्सीसामूले ठवेइ। सूत्र १०६. मेघकुमार की माता ने उन बालों को हंस के चिह्न वाले हंस जैसे सफेद कपड़े में ले लिया। बालों को सुगंधित जल से धोया, सरस गोशीर्ष चन्दन उन पर छिड़का और सफेद कपड़े में बाँध लिया। इस पोटली को उसने रत्नजड़ित डिब्बे में रखा और डिब्बे को पेटी में। फिर वे जलधारा, निर्गुडी के फूल, और मोतियों के टूटे हार की तरह आँसू बहाती रोती कलपती बोलीं-“मेघकुमार का यह दर्शन भविष्य में अभ्युदय, उत्सव, जन्मोत्सव, विशिष्ट तिथियों, इन्द्र महोत्सव, नाग पूजा, कार्तिक पूर्णिमा आदि के अवसर पर हमें इन केशों के माध्यम से याद आएगा।' यह कहकर धारिणी देवी ने वह पेटी अपनी शय्या के सिराहने की ओर रख ली। 106. Megh Kumar's mother collected these hair in a swan marked piece of cloth as white as a swan. She washed the hair with perfumed water, sprinkled good quality sandal essence over them and tied them into a packet with a piece of cloth. She put this packet into a gem studded box which in turn was placed in a chest. Sobbing and shedding tears like a stream of water, Nirgundi flowers, and a broken string of pearls, she uttered, “This bunch of hair aat (98) JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SUTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007650
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1996
Total Pages492
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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