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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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instruments King Shrenik annointed Megh Kumar with the help of numerous urns. The details of these urns is,
One hundred and eight each made up of 1. gold, 2. silver, 3. silver and gold, 4. gem studded, 5. gold and gem studded, 5. silver and gem studded, 7. gold, silver, and gem studded, and 8. clay. These eight hundred and sixty four urns were filled with a variety of auspicious things including sand, water, perfumes, garlands, herbs, and mustard.
After the annointing King Shrenik joined his palms and said
सूत्र १00. “जय जय णंदा ! जय जय भद्दा ! जय गंदा भदं ते, अजियं जिणेहि, जियं पालयाहि, जियमझे वसाहि, अजियं जिणेहि सत्तुपक्खं, जियं च पालेहि मित्तपखं, जाव इंदो इव देवाणं, चमरो इव असुराणं, धरणो इव नागाणं, चंदो इव ताराणं, भरहो इव मणुयाणं रायगिहस्स नगरस्स अन्नेसिं च बहूणं गामागरनगर जाव खेड-कब्बड-दोणमुह-मडंव-पट्टण-आसम-निगम-संवाह-संनिवेसाणं आहेवच्चं जाव पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनट्ट-गीत-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहराहि" त्ति कटु जयजयसई पउंजंति।
तए णं से मेहे राया जाए महया जाव विहरइ।
सूत्र १00. “हे नन्द ! तुम्हारी जय हो, जय हो। हे भद्र ! तुम्हारी जय हो, जय हो। हे आनन्दमूर्ति ! तुम्हारा कल्याण हो। तुम अजित तथा शत्रुपक्ष पर विजय पाओ और जीते हुए तथा मित्रपक्ष का पालन करो। जो जिन हैं उनके बीच निवास करो। इन्द्रादि तथा भरत चक्रवर्ती के समान राजगृह तथा अन्य नगर-ग्रामादि, सन्निवेशादि पर आधिपत्यादि करते हुए आनन्द और उत्सव सहित विचरण करो।" यह कहकर राजा ने जय-जयकार किया। इस प्रकार मेघ राजा बन गया और पर्वतों में महाहिमवन्त की तरह शोभित हुआ।
100. “Victory be to you O source of joy! May you be victorious O noble one! May all go well with you o embodiment of happiness! May you conquer the enemies and those who are yet unvanquished and support the friends and the conquered. May you live with the Jinas, who have won over their senses. Like Indra and Bharat Chakravarti, may you rule over and protect Rajagriha and other towns and villages with festivities and joy.” With these words King Shrenik hailed Megh Kumar. Thus Megh Kumar was crowned and became glorious among kings as is the Himalaya among mountains.
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RAHA
PAHAMAA
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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