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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
शोकाकुल माता
सूत्र ८६. तए णं सा धारिणी देवी तमणिट्टं अकंतं अप्पियं अमणुन्नं अमणामं अस्सुयपुव्वं फरुसं गिरं सोच्चा णिसम्म इमेणं एयारूवेणं मणोमाणसिएणं महया पुत्तदुक्खेणं अभिभूता समाणी सेयागय - रोमकूव-पगलंत - विलीणगाया सोयभरपवेवियंगी णित्तेया दीणविमणवयणा करयल-मलिय व्व कमलमाला तक्खण- ओलुग्ग-दुब्बलसरीरा लावन्नसुन्न-निच्छाय-गयसिरीया पसिढिलभूसण- पडतखुम्मिय- संचन्नियधवलवलयपब्भट्टउत्तरिज्जा सूमालविकिण्णकेसहत्था मुच्छावसणट्टचेयगरुई परसुनियत्त व्व चंपगलया निव्वत्तमहिम व्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिया |
सूत्र ८६. धारिणी देवी ऐसी अनिष्ट, अप्रिय, अमनोज्ञ, अवांछित, अभूतपूर्व और कठोर बात सुन-समझकर पुत्र वियोग के अकल्पनीय दुःख से अभिभूत हो गईं। वे पसीने से तर हो गईं, और उनका अंग-अंग काँपने लगा। वे असमय मुरझाई माला के समान अनमनी, दीन, और निस्तेज हो गईं। क्षण मात्र में ही उनका लावण्य, कान्ति और श्री लुप्त हो गई। दुर्बलता के कारण उनके शरीर पर पहने गहने ढीले हो गए, हाथ के कंगन सरककर जमीन पर गिरे और टूट गए। उनके वस्त्र अस्त-व्यस्त हो गए और बाल बिखर गये। उनके मन पर गहरा आघात लगा और वे बेहोश हो गईं। ऐसा लगता था जैसे फरसे से काटी कोई लता या उत्सव सम्पन्न हो जाने के बाद ध्वजा शोभाविहीन हो गई हो । उनके जोड़ ढ़ीले पड़ गये और वे धड़ाम से धरती पर गिर पड़ीं।
MOTHER'S GRIEF
86. When she heard these ominous, unpleasant, repelling, undesirable, and hard hitting words, queen Dharini was overwhelmed with the unimaginable anguish of separation from her beloved son. She became drenched with sweat and her limbs started trembling. Like a withered garland of flowers she became gloomy, depressed, and dull. Within a moment she lost all her beauty, radiance, and splendour. Her body became so shriveled that all her ornaments became ill fitting; so much so that her bracelets slipped out of her loosely hanging wrists, fell down on the floor and broke. Her dress and hairdo became shabby. The deep shock made her unconscious. It appeared as if a vine was cut by the blow of an axe or a flag had been unhoisted. Her joints became loose and she fell prone on the floor.
CHAPTER - 1: UTKSHIPTA JNATA
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