________________
प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
(८१)
MS
--
शाखा
(१) सचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए। (२) अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए। (३) एगसाडियउत्तरासंगकरणेणं। (४) चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं।
(५) मणसो एगत्तीकरणेणं। जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति। उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति। करित्ता वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स णच्चासन्ने णाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे पंजलियउडे अभिमुहे विणए णं पज्जुवासइ। ___ सूत्र ८0. मेघकुमार ने तब स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर वस्त्राभूषण पहने। वे रथ पर चढ़े और अपने वैभव के अनुसार छत्रादि धारण कर सैन्यादि के साथ नगर के बीच से निकल गुणशील चैत्य (उद्यान) में पहुंचे। वहाँ उन्होंने श्रमण भगवान महावीर के छत्र पर छत्र, पताकाओं पर पताका आदि अतिशयों को, तथा विद्याधरों, चारणों और मुंभक देवों को आकाश से नीचे आते ऊपर जाते देखा। यह सब देख वह रथ से उतरे
और पाँच प्रकार के अभिगम (देव-गुरु के सन्मुख जाने की उचित विधि) कर भगवान महावीर की तरफ चले। वे पाँच अभिगम हैं-(१) सचित्त द्रव्यों का त्याग, (२) अचित्त द्रव्यों का अत्याग, (३) बिना जोड़ का उत्तरीय धारण करना, (४). भगवान पर दृष्टि पड़ते ही हाथ जोड़ना, तथा (५) मन को एकाग्र करना। भगवान महावीर के निकट पहुँच उन्होंने दक्षिण दिशा (दाहिनी ओर) से आरम्भ कर तीन बार भगवान की प्रदक्षिणा की और तब वन्दन तथा नमस्कार किया। फिर वह भगवान के सम्मुख उचित स्थान पर बैठ धर्मोपदेश सुनने की इच्छा लिए, दोनों हाथ जोड़ विनयपूर्वक प्रभु की उपासना करने लगे।
MAHAVIR'S DISCOURSE ___80. Megh Kumar got ready after his bath and putting on his royal
ress and ornaments. He ascended the chariot and with regalia and guards passed through the town and arrived at the Gunasheel temple. There he saw the miraculous things like canopy over a canopy, flag over a flag, and ascending and descending of a variety of gods including Vidyadhars, Charans, and Jambhriks around Shraman Bhagavan Mahavir.
He got down from his chariot and made five prescribed resolutions before proceeding to greet Bhagavan. These resolutions were-1. not to
Omro
Ram
CHAPTER-1: UTKSHIPTA JNATA
(81)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org