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जब तक शस्त्र द्वारा परिणत न हो जायें तब तक मूल से बीज तक सभी वनस्पतिकायिकों को चित्तवान (सचित्त) कहा गया है और वह ऐसे अनेक जीवों वाले हैं जिनका स्वतन्त्र अस्तित्त्व है। (ये पाँचौं स्थावर जीव हैं। इन पाँच प्रकार के स्थावर एकेन्द्रिय जीवों का दिग्दर्शन चित्र क्रमांक ५ में देखें।)॥८॥ ___8. As long as it is not violated by a weapon, a plant is said to be conscious or living and it is also teeming with numerous living organisms having independent existence. They are of these types—agra-beej, mool-beej, paru-beej, skandh-beej, beej. rooh, sammoorchim, trin and lata.
As long as they are not violated by a weapon, all sections of all these plant-bodied organisms are said to be conscious or living, and they are also teeming with numerous living organisms having independent existence. (These five types of organism come under the classification of immobile beings. (illustration No. 5) विशेषार्थ : __सूत्र ८. अग्गबीया-अग्र-बीज आदि उत्पत्ति की भिन्नता के आधार पर वनस्पति के भिन्न-भिन्न भेद बताये गये हैं, जैसे अग्र-बीज-सिरे पर बीज वाला। मूल-बीज-जिनका मूल बीज हो, जैसे-कन्द आदि। पर्व-बीज-जिनकी गाँठ (पोरा) बीज हो, जैसे-इक्षु। स्कंध-बीजजिनका स्कंध ही बीज है, जैसे-थूहर, कपित्थ (कैंथ)। बीज-रूह-जो बीज रूप में ही उत्पन्न होते हैं, जैसे-गेहूँ, धान्य आदि। सम्मूर्छिम-जो बिना बीज के ही केवल पृथ्वी-पानी आदि के कारण उत्पन्न हो जाते हैं। तृण-घास, दूव आदि।
सबीया-सबीज-शब्द से वनस्पति के १० प्रकार समझना चाहिए, जैसे-मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल और बीज। ELABORATION:
(8) Agga-beeya-A classification of plant life has been made according to variations in the source of growth—Those which grow when the tip is planted (agra-beej), the root-bulb is planted like potatoes (mool-beej), the knot is planted like sugar-cane (parv-beej), the branch is planted like roses (skandh-beej), the seed is planted
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चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
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