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६. तेऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं।
जब तक शस्त्र द्वारा परिणत न हो जाये तब तक तेजस् अथवा अग्नि को चित्तवान् या सजीव कहा गया है और वह ऐसे अनेक जीवों वाला है जिन सबका अपना स्वतन्त्र अस्तित्त्व है॥६॥
6. As long as it is not violated by a weapon fire is said to be conscious or living, and it is also teeming with numerous living organisms having independent existence.
७. वाऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं।
जब तक शस्त्र द्वारा परिणत न हो जाये तब तक वायु को चित्तवान् या सजीव कहा गया है और वह ऐसे अनेक जीवों वाला है जिनका अपना स्वतन्त्र अस्तित्त्व है॥७॥
7. As long as it is not violated by a weapon air is said to be conscious or living, and it is also teeming with numerous living organisms having independent existence.
८. वणस्सई चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ- ११ परिणएणं,
तं जहा-अग्गबीया मूलबीया पोरबीया खंधबीया बीयरुहा संमुच्छिमा तणलया। वणस्सइकाइया सबीया चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ-परिणएणं।
जव तक शस्त्र द्वारा परिणत न हो जाय तब तक वनस्पति को चित्तवान् या सजीव कहा गया है और वह ऐसे अनेक जीवों वाली है जिनका अपना स्वतन्त्र अस्तित्त्व है। ये निम्न प्रकार की होती हैं-अग्र-बीज, मूल-बीज, पर्व-बीज, स्कन्ध-बीज, वीज-रूह, सम्मूर्छिम, तृण और लता।
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श्री दशवकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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