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402 - 86 CERE
like wheat (beej-rooh), those which grow without a specific source or things like plankton (sammoorchim), grass (trin), and creepers (lata).
Sabeeya-all sections of a plant-bodied organism-root, bulb, trunk, skin, branch, sprout, leaf, flower, fruit and seed.
स जीवों का स्वरूप
९. से जे पुण इमे अणेगे बहवे तसा पाणा । तं जहा - अंडया पोयया जराउया रसया संसेइमा संमुच्छिमा उब्भिया उववाइया ।
सिं केसिंचि पाणाणं अभिक्कतं पडिक्कतं संकुचियं पसारियं रुयं तं तसियं पलाइयं आगइ-गइविन्नाया
जे य कीडपयंगा, जाय कुंथुपिपीलिया, सव्वे बेइंदिया सव्वे तेइंदिया सव्वे चउरिंदिया सव्वे पंचिंदिया सव्वे तिरिक्खजोणिया सव्वे नेरइया सव्वे मणुया सव्वे देवा सव्वे पाणा परमाहम्मिया
एसो खलु छट्टो जीवनिकाओ तसकाओ त्तिपच्चई |
इनके अतिरिक्त जो अनेक त्रस प्राणी हैं वे इस प्रकार हैं- अण्डज, पोतज, जरायुज, रसज, संस्वेदज, सम्मूर्छनज, उद्भिज तथा औपपातिक । ये सब छठे जीवनिकाय में आते हैं।
जिन किन्हीं प्राणियों में आगति (आना) तथा गति ( जाना) की द्योतक क्रियाएँ हैं, जैसे-आगे जाना, पीछे आना, संकुचित होना, शब्द करना, फैलना, इधर-उधर होना, भयभीत होना तथा दौड़ना - भागना आदि
वे सभी स प्राणी, जो कीट, पतंग, कुंथु, पिपीलिका आदि सभी दो इन्द्रिय वाले, सभी तीन इन्द्रिय वाले, सभी चार इन्द्रिय वाले, सभी पाँच इन्द्रिय वाले, सभी तिर्यक् योनि, सभी नैरयिक, सभी मनुष्य, सभी देव, उपरोक्त सभी प्राणी परम धार्मिक अर्थात् परम सुख के इच्छुक हैं। ( त्रस जीवों के अनेकानेक भेदों का परिचय चित्र क्रमांक ६ में पढ़िए )
इस छठे जीवनिकाय को सकाय कहा जाता है ॥ ९ ॥
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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