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AMITHODAI
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तं जहा पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया तसकाइया।
उपरोक्त षड्जीवनिका नामक अध्ययन जो भगवान महावीर द्वारा प्ररूपित है, जिसका अध्ययन करना मेरे लिए कल्याणकारी है, वह इस प्रकार है
(षड्जीवनिकाय के प्रकार) पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक तथा त्रसकायिक॥३॥ SIX LIFE FORMS EXPLAINED
3. The said chapter entitled Six Life Forms that was presented by Shraman Bhagavan Mahavir and the study of which is beneficial for my soul goes like this ___ (The types of six life forms are.....) earth bodied, water bodied, fire bodied, air bodied, plant bodied and mobile bodied. विशेषार्थ :
सूत्र ३. पृथ्वीकायिक-जिन सूक्ष्म जीवों की काया काठिन्य गुण वाली पृी है। अप्कायिक-जिन सूक्ष्म जीवों की काया तरलता गुण वाला जल है। तेजस्कायिक-जिन सूक्ष्म जीवों की काया ऊष्णता गुण वाला तेज अथवा अग्नि है। वायुकायिक-जिन सूक्ष्म जीवों की काया चलन गुण वाली वायु है। वनस्पतिकायिक-जिन जीवों की काया वनस्पति है। त्रसकायिक-जिन जीवों की काया त्रसनशील (भयभीत होना) है अथवा चलने की क्षमता लिए है।
ELABORATION: ___(3) Earth bodied-The micro-organisms consisting of particles
having the property of solidity like earth. Water bodied–The micro-organisms consisting of particles having the property of liquidity like water. Fire bodied-The micro-organisms consisting of particles having the property of heat like fire. Air bodied-The micro-organisms consisting of particles having the property of blowing like air. Plant bodied-The full range of plant life. Mobile
चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
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Guruwal
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