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bodied–The gross life forms that are capable of flinching with fear or the moving beings. In other words, the animal kingdom.
४. पुढवी चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं।
जब तक शस्त्र द्वारा परिणत न हो जाय तब तक (अथवा शस्त्र परिणत पृथ्वी को छोड़कर) पृथ्वी को चित्तवती या सजीव (चेतनायुक्त) कहा गया है
और अनेक जीव उसमें पृथक् रूप में आश्रित भी हैं जिन सबका स्वतंत्र अस्तित्त्व है॥४॥
4. As long as it is not violated by a weapon, earth is said to be conscious or living, and it is also teeming with numerous living organisms having independent existence. विशेषार्थ :
सूत्र ४. सत्थ-शस्त्र जो घात करे या नष्ट करे वह शस्त्र कहलाता है। सूक्ष्म जीवों के स्तर पर एक प्रकार के जीवों का दूसरे प्रकार के जीवों से मिश्रण होने पर वह उनके लिए घातक हो जाता है।
अन्नत्थ सत्थ परिणएणं का तात्पर्य-उनका विरोधी शस्त्र या मारक वस्तु का संयोग जब तक नहीं होता है, तब तक वह सजीव तथा संयोग होने पर जीवरहित-निर्जीव हो जाता है।
शस्त्र तीन प्रकार के कहे गये हैं-स्वकाय-शस्त्र, परकाय-शस्त्र तथा उभयकाय-शस्त्र। एक प्रकार की मिट्टी का दूसरे प्रकार की मिट्टी से मिश्रण दोनों के लिए घातक होता है-यह स्वकाय-शस्त्र है। मिट्टी में पानी का मिश्रण दोनों के लिए घातक होता है-यह परकाय-शस्त्र है। एक प्रकार की मिट्टी को पानी में घोलकर दूसरे प्रकार की मिट्टी में मिलाया जाय तो यह घोल मिट्टी व पानी के जीवों के लिए घातक होता है-यह उभयकाय-शस्त्र है। ___ अणेग जीवा पुढोसत्ता-सूक्ष्म जीव सामान्य दृष्टि से दिखाई नहीं देते। जो रूप हमें दिखाई देता है वह स्थूल है, जैसे-मिट्टी का ढेला, चट्टान, पहाड़, जलाशय, नदी, अंगारे, लपट, हवा का झोंका, वृक्ष, स्थूल वनस्पति आदि। ऐसे दिखाई देने वाले रूप अनक सूक्ष्म जीवों के एकत्र होने से बनते हैं। इस कारण ये सभी दृष्टिगोचर जीव स्वतंत्र अस्तित्व वाले अलग-अलग शरीरधारी अनेक जीवों के समूह (पिण्ड) कहे गये हैं। (आचार्य श्री आत्माराम जी म. कृत विवेचन से)
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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