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4. 18. Ashtapad-to indulge in gambling or playing chess, 19. Nalika-to gamble using dice or otherwise, 20. Chhatra-use of umbrella, 21. Chaikitsya-getting treatment for various ailments, 22. Upanat--wearing shoes, 23. Jyoti samarambh-igniting a fire. विशेषार्थ :
श्लोक ४. छत्र-छत्र-धारण के निषेध के संबंध में दो विकल्प हैं। जिनकल्पी के लिए 2. संपूर्ण निषेध है किन्तु स्थविरकल्पी के लिए विशेष परिस्थिति (रोगादि) में छत्र-धारण का निषेध नहीं है।
चिकित्सा निषेध के संबंध में भी दो विकल्प हैं। जिनकल्पी श्रमण के लिए संपूर्ण निषेध है किन्तु स्थविरकल्पी के लिए केवल सावद्य चिकित्सा करने या करवाने का निषेध है। (आचार्य श्री आत्माराम जी म.-दशवै., पृ. ४०-४१)
जूते आदि के निषेध के संबंध में एक मत यह भी है कि अस्वस्थ अवस्था में पैरों या आँखों के दुर्बल हो जाने पर उपानत् पहनने में दोष नहीं है जैसा कि कहा है-दुबलपाओ चक्खु दुव्बलो वा उवाहणाओ आविंधेज्जा ण दोसो भवति (जिनदास चूर्णि, पृ. ११३)
ELABORATION :
(4) Chhatta—There are two conditions about the use of an umbrella. For a jinakalpi (an ascetic who goes into near or complete isolation to pursue higher spiritual practices) the ban is absolute, but for a sthavirkalpi or normal ascetic the use of umbrella is allowed under special conditions such as old age or sickness.
Same rule applies to getting medical treatment. For jinakalpi it is totally banned, but for sthavirkalpi those processes are allowed where there is no possibility of harming living organisms. (Dashavaikalik by Acharyashri Atmaram ji M., page 40-41)
Regarding the wearing of shoes, there is another rule that permits it when one is ill or when one's legs or vision get weak. (Jinadas Churni, page 113)
तृतीय अध्ययन : क्षुल्लकाचार कथा Third Chapter : Khuddayayar Kaha
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