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BELLE
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ब्रह्मचर्य-रक्षा के उपाय अध्ययन उपसंहार
नवम अध्ययन : विनय समाधि
प्रथम उद्देशक
प्राथमिक
अविनय का फल गुरु-हीलना विनाशकारी है
ज्ञानी होने पर गुरु का विनय करे
दूसरा उद्देशक
विनय का परम फल
अविनीत काठ समान लौकिक विद्या के लिए भी गुरु की
तर्जना सहते हैं
गुरु
के समीप उठने-बैठने की मर्यादा
विनीत संपदा भागी होता है
तीसरा उद्देशक
गुरु-सेवा की आचार विधि
दुर्वचनों को सहन करे गुण ग्रहण करे
चौथा उद्देशक
चार विनयसमाधि श्रुतसमाधि
तप समाधि आचारसमाधि उपसंहार
दशम अध्ययन समिक्षु
प्राथमिक भिक्षु के आदर्श गुण षट्काय रक्षा का उपदेश संवर का उपदेश
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२८९ Protecting Celibacy २९२
२९५-३३८ Ninth Chapter The Bliss of Humbleness
३०१
३०४
२९५-३०७ First Section
२९५ Introduction
२९९ Fruits of Rudeness
३०८-३१९
30८
३०९
A VS S
Conclusion of the Chapter
393
३१५
Insult of Guru Invites Destruction The Learned should also
Revere His Guru
Second Section
The Ultimate Fruit of Vinaya
Rude Person : Alog of Nood
Tolerating Punishment by Guru for
Worldly Knowledge
The Discipline of Sitting and Standing Near the Guru
३१८ Humble One Begets Wealth
३२०-३२९ Third Section
३२० The Method of Serving the Guru ३२२ The Conduct
३२३
Tolerate Harsh Words ३२६ Acquire Virtues
३३०-३३८ Fourth Section
३३० The Four Types of Bliss ३३२ Vinaya Samadhi ३३३ Shrut Samadhi
३४३
३४४
३३४ Tapah Samadhi ३३५ Achar Samadhi ३३८ Conclusion
Indtroduction
The Ideal Virtues of a Bhikshu
Protection of Six Classes of Beings Observe Samvar
( ३३ )
For Private & Personal Use Only
289
292
295-338
295-307
297
299
301
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308
309
३३९-३५६ Tenth Chapter He is Bhikshu 339-356
३३९
३४२
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我弱弱弱
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