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putting someone into bondage, or depriving someone of his wealth, life etc. But in the context of ahimsa, it acquires a very wide range of meanings. Any activity of mind, body, or speech that causes any pain or misery to any being is called dand. That is why the three means of action-namely, mind, body and speech-are also known as dand. The full statement means indulgence in these activities. ___Tiviham tivihena-Three karans or mean of action (mind, speech and body) and three yogas or methods (doing, inducing, and approving). In some sources the meanings are changed.
Ninda-garha--self-criticism is ninda and self-denunciation before others is garha (commentary by Acharya Haribhadra Suri). To resolve not to commit sins in future is garha (Agastya Simha Churni).
पंचमहाव्रत
११. पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं।
सव्वं भंते ! पाणाइवायं पच्चक्खामि-से सुहुमं वा बायरं वा तसं वा
थावरं वा, नेव सयं पाणे अइवाइज्जा नेवन्नेहिं पाणे अइवायाविज्जा पाणे IN अइवायंते वि अन्ने न समणुजाणामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं
वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करतं पि अन्नं न समणुजाणामि। तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। पढमे भंते ! महव्वए उवट्ठिओमि सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं। भन्ते ! प्रथम महाव्रत में प्राणातिपात से विरमण (निवृत्ति) किया जाता है। भन्ते ! मैं सर्व प्राणातिपात का प्रत्याख्यान (त्याग) करता हूँ। सूक्ष्म या स्थूल अथवा त्रस या स्थावर आदि सभी जीवों के प्राणों का अतिपात (घात) न मैं स्वयं करूँगा, न किसी अन्य से कराऊँगा और न किसी के द्वारा किये जाने का अनुमोदन करूँगा। मैं तीन करण व तीन योग से इस महाव्रत का पालन करूँगा।
श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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साधAM
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