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२४. एक ही क्षेत्र में स्थिरवास करने वाले भिक्षु के पास जब कोई मासकल्प विहार म करने वाले भिक्षु अतिथि रूप से आ जाते हैं तो वे उन ग्रामानुग्राम विचरण करने वाले . साधुओं से कहते हैं-पूज्यवरो ! यह गाँव बहुत छोटा है, बहुत बड़ा नहीं है, उसमें भी कुछ
घर (सूतक आदि के कारण) रुके हुए हैं। इसलिए आप भिक्षाचरी के लिए बाहर (दूसरे) गाँवों में पधारें।
यदि इस गाँव में स्थिरवासी मुनियों में से किसी मुनि के पूर्व-परिचित (माता-पिता आदि कुटुम्बीजन) अथवा पश्चात्-परिचित (श्वसुर-कुल के लोग) रहते हैं, जैसे किगृहपति, गृहपत्नियाँ, गृहपति के पुत्र एवं पुत्रियाँ, पुत्रवधुएँ, धायमाताएँ, दास-दासी, नौकर-नौकरानियाँ; वह साधु यह सोचे कि जो मेरे पूर्व-परिचित और पश्चात्-परिचित घर हैं, वैसे घरों में आगंतुक अतिथि साधुओं द्वारा भिक्षाचरी करने से पहले ही मैं भिक्षा के लिए जाऊँगा और इन कुलों से इष्ट वस्तु प्राप्त कर लूँगा जैसे कि-"शाली के ओदन
आदि, स्वादिष्ट आहार, दूध, दही, नवनीत, घृत, गुड़, तेल, मधु, मद्य या माँस अथवा जलेबी, मुड़राब, मालपुए, शिखरिणी (श्रीखंड) नामक मिठाई आदि। उस आहार को मैं पहले ही खा-पीकर पात्रों को धो-पोंछकर साफ कर लूँगा। इसके पश्चात् आगन्तुक भिक्षुओं के साथ आहार-प्राप्ति के लिए गृहस्थ के घर में प्रवेश करूँगा और वहाँ से निकलूंगा।" (इस प्रकार का व्यवहार करने वाला साधु) माया-कपट का स्पर्श (सेवन) करता है। साधु को ऐसा नहीं करना चाहिए।
उस (स्थिरवासी) साधु को भिक्षा के समय उन भिक्षुओं के साथ ही उसी गाँव में विभिन्न उच्च, नीच और मध्यम कुलों से सामुदानिक भिक्षा से प्राप्त एषणीय, वेश से उपलब्ध निर्दोष आहार को लेकर उन अतिथि साधुओं के साथ ही आहार करना चाहिए। ___ यही संयमी साधु-साध्वी के ज्ञानादि आचार की समग्रता है। ALMS-CODE WHEN OTHER ASCETICS VISIT
24. When itinerant ascetics come as guests to an ascetic staying at one place, he tells them-Revered ones, this is not a large but a very small village. Besides this, many houses cannot be visited (being inauspicious temporarily). Therefore you should go out of this village to some other villages to seek alms.
If in that village some past or present acquaintances (parents or relatives or others like in-laws), such as a householder, his wife, his sons and daughters, his daughters-in-law, governess, आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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