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[२] से भिक्खू वा २ बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा णिक्खममाणे वा पविस्स माणए वा सव्वं भंडगमायाए बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमिं वा णिक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा।
[३] से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जमाणे सव्वं भंडगमायाए गामाणुगामं दूइज्जेजा।
१९. [9] जो भिक्षु (या भिक्षुणी) गृहस्थ के घर में प्रवेश करना चाहता है, वह अपने सब भंडोपकरण (साथ में) लेकर आहार-प्राप्ति के निमित्त से गृहस्थ के घर में प्रवेश करे या निकले।
[२] साधु (या साध्वी) बाहर विहार भूमि के लिए या स्वाध्याय भूमि में निकलते या प्रवेश करते समय अपने सभी धर्मोपकरण साथ लेकर वहाँ से निकले या प्रवेश करे।
३] एक ग्राम से दूसरे ग्राम विचरण करते समय साधु (या साध्वी) अपने सब धर्मोपकरण साथ में लेकर ग्रामानुग्राम विहार करे। MOVING WITH ASCETIC EQUIPMENT
19. [1] A bhikshu or bhikshuni who wants to enter the house of a layman, should take (along) all his bowls (pots) and equipment before entering or leaving the house of a layman with the purpose of seeking food.
[2] A bhikshu or bhikshuni who wants to go to a place to relieve himself or a place to pursue studies, should take (along) all his ascetic equipment before entering or leaving that place.
[3] A bhikshu or bhikshuni who wants to move from one village to another, should take (along) all his ascetic equipment before moving about.
२०. से भिक्खू वा २ अह एवं जाणेज्जा, तिव्वदेसियं वा वासं वासमाणं पेहाए, तिव्वदेसियं वा महियं संणिचयमाणिं पेहाए, महावाएण वा रयं समुद्धयं पेहाए, तिरिच्छ संपातिमा वा तसा पाणा संथडा संणिवयमाणा पेहाए।
से एवं णच्चा णो सव्वं भंडगमायाए गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसेज्ज वा णिक्खमेज्ज वा, बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमिं वा णिक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा
गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। * आचारांग सूत्र (भाग २)
( ४६ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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