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अभिहयपुव्वे भवइ, सीओदएण वा ओसित्तपुव्वे भवइ। रयसा वा परिघासिय पुब्वे भवइ। अणेसणिज्जे वा परिभुत्तपुव्वे भवइ, अण्णेसिं वा दिज्जमाणे पडिगाहियपुव्वे भवइ। ___ तम्हा से संजए णियंठे तहप्पगारं आइण्णोवमाणं संखडिं संखडिपडियाए णो अभिसंधारिज्जा गमणाए।
१७. भिक्षु या भिक्षुणी यह जाने कि अमुक गाँव या राजधानी में संखडि है या संखडि अवश्य होने वाली है तो उस गाँव या राजधानी में संखडि की प्रतिज्ञा-संकल्प से जाने का विचार भी न करे। केवली भगवान कहते हैं-यह अशुभ कर्मों के बन्ध का कारण है।
भिक्षाचरों की भीड़ से भरी-आकीर्ण-और हीन-अवमान संखडि में प्रविष्ट होने से (निम्नोक्त दोषों के उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है-)
सर्वप्रथम पैर से पैर टकरायेंगे; या हाथ से हाथ संचालित होंगे (धकियाये जायेंगे); पात्र से पात्र रगड़ खायेगा, सिर से सिर का स्पर्श होकर टकरायेगा अथवा शरीर से शरीर का संघर्षण होगा, (ऐसा होने पर) डण्डे, हड्डी, मुट्ठी, ढेला-पत्थर या खप्पर से एक-दूसरे पर प्रहार होना भी सम्भव है। वे परस्पर सचित्त, ठण्डा पानी भी छींट सकते हैं, सचित्त मिट्टी भी फेंक सकते हैं। वहाँ अनेषणीय आहार का भी उपभोग करना पड़ सकता है तथा दूसरों को दिये जाने वाले आहार को बीच में से (झपटकर) लेना भी पड़ सकता है। इसलिए वह संयमी निर्ग्रन्थ इस प्रकार की जनाकीर्ण एवं हीन संखडि में संखडि के संकल्प से जाने का विचार न करे। ____17. When a bhikshu or bhikshuni finds that a feast has been organized or will certainly be organized in a particular village or capital city, he should not even think of going to that village or capital city with an intention of joining the feast. The omniscient has said that to be a cause of bondage of karmas.
Entering a feast crowded with beggars or a restricted one (entails chances of following faults-)
Treading by feet; touching or pushing by hands; scratching of pots with other pots; touching or banging of heads or bodies. There are chances of these being followed by hitting with stick, bone, fist, stone or gourd. They may also splash sachit पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana : Frist Chapter
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