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Malava and Ujjaini regions common women also joined these celebrations and openly consumed alcohol. It is clearly evident that hard drinks were common to such celebrations. No wonder even an ascetic could be swept in the tide.
१६. से भिक्खू वा २ अण्णयरिं संखडिं सोच्चा णिसम्म संपहावइ उस्सुयभूएणं अप्पाणेणं, धुवा संखडी। णो संचाएइ तत्थ इयरेइयरेहिं कुलेहिं सामुदाणियं एसियं वेसियं पिण्डवायं पडिगाहित्ता आहारं आहरित्तए। माइट्ठाणं संफासे। णो एवं करेज्जा।।
से तत्थ कालेण अणुपविसित्ता तत्थियरइयरेहिं कुलेहिं सामुदाणियं एसियं वेसियं पिण्डवायं पडिगाहित्ता आहारं आहारेज्जा।
१६. भिक्षु या भिक्षुणी (पूर्व-संखडि या पश्चात्-संखडि में से) किसी एक के विषय में सुनकर मन में बहुत उत्सुक हुआ (संखडि वाले गाँव की ओर) जल्दी-जल्दी जाता है। (इस आशा से कि) वहाँ निश्चित ही संखडि मिलेगी। वह भिक्षु उस संखडि वाले ग्राम में संखडि से रहित दूसरे-दूसरे घरों से एषणीय तथा वेसियं-रजोहरणादि वेश से लब्ध उत्पादनादि दोषरहित भिक्षा से प्राप्त आहार को ग्रहण करके उसका उपभोग नहीं कर सकेगा। क्योंकि वह मन में संखडि के भोजन के लिए लालायित हुआ सोचता है, मुझे संखडि वाला गृहस्थ अवश्य आहार के लिए आमंत्रित करेगा। (ऐसी स्थिति में) वह भिक्षु मातृस्थान (कपट) का स्पर्श करता है। अतः साधु ऐसा कार्य न करे।
वह भिक्षु उस संखडि वाले ग्राम में प्रवेश करके संखडि वाले घर के सिवाय (उस घर को छोड़कर) दूसरे-दूसरे घरों से सामुदायिक भिक्षा से प्राप्त एषणीय वेसियं-मुनि के कारण प्राप्त दोषरहित पिण्डपात (आहार) को ग्रहण करके उसका सेवन कर ले।
16. A bhikshu or bhikshuni hearing about one such (preoccasion or post-occasion feast) gets curious and rushes (towards the village where the feast is organized). (He hopes that) He will certainly get the festive food. This bhikshu or bhikshuni will not be inclined to take and consume the acceptable and faultless food offered due to his appearance (in ascetic garb including the broom) from various other houses where there is no feast. This is because, inspired by his craving for the festive food, he thinks that the host of the feast will certainly invite him for food. (In this state of mind) That bhikshu or bhikshuni resorts to deceit. Therefore an ascetic should not do so. पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
Pindesana : Frist Chapter
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