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the acquisition of karmas. It causes numerous faults mentioned before. Therefore, believing a pre-occasion or post-occasion feast to be detrimental to ascetic-discipline, a disciplined ascetic should not even think of going to a feast to seek alms.
विवेचन-वृत्तिकार ने संविज्जमाणा पच्चवाया-इस पद का स्पष्टीकरण करते हुए कहा है(१) रस-लोलुपतावश वमन, विरेचन, अपचन, भयंकर रोग आदि की सम्भावना, (२) तथा संखडि में मद्यपान से मत्त साधु द्वारा अब्रह्मचर्य-सेवन जैसे कुकृत्य की पराकाष्ठा तक पहुँचने की सम्भावना भी रहती है। इन दोनों भयंकर दोषों के अतिरिक्ति अन्य अनेक कर्मसंचयजनक (प्रत्यपाय) दोष या संयम में विज उत्पन्न हो सकते हैं। __ इस वर्णन से प्रतीत होता है कि प्राचीनकाल में जहाँ ऐसे बृहत् भोज होते थे, वहाँ उस गृहस्थ के रिश्तेदार स्त्री-पुरुषों के अतिरिक्त परिव्राजक-परिव्राजिकाओं को भी बुलाया व ठहराया जाता था, अपने पूज्य साधुओं को भी वहाँ ठहराने का खास प्रबन्ध किया जाता था। चूर्णिकार का मत है कि परिव्राजक-कापालिक आदि तथा कापालिकों की परिव्राजिकाएँ वर्षा और ग्रीष्म ऋतु आदि में होने वाले बृहत् भोजों में सम्मिलित होकर मद्य पीते थे; माहेश्वर, मालव और उज्जयिनी आदि प्रदेशों में गृहस्थ-पत्नियाँ भी सब मिलकर खुल्लमखुल्ला एक साथ मद्य पीती थीं। इससे स्पष्ट है कि वहाँ मद्य का दौर चलता था, उसमें साधु भी लपेट में आ जाये तो क्या आश्चर्य !
Elaboration-Explaining the phrase samviijamana pachchavaya the commentator (Vritti) mentions-(1) due to gourmandising there are chances of vomiting, diarrhea, indigestion and other such grave ailments; (2) in an intoxicated state in a feast there are chances of complete indulgence in despicable acts like sex. Besides these two grave faults, there are chances of committing many other karma acquiring faults or causing damage to ascetic-discipline.
This description indicates that in ancient times a householder, besides inviting his relatives, also invited male and female mendicants and made arrangements for their stay. Special arrangements were also made for the stay of ascetics revered by him. The commentator (Churni) opines that parivrajak-kapalik (mendicants who indulged in various esoteric practices) and accompanying female mendicants joined the monsoon, summer and other festivals and consumed alcoholic drinks. In the Maheshvar,
आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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