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विवेचन--कुछ कुलों में पुण्य-लाभ समझकर श्रमण, ब्राह्मण, याचक आदि हर प्रकार के भिक्षाचर के लिए प्रतिदिन आहारदान किया जाता है, जो आहार पक रहा हो, उसमें से पहले * कुछ भाग निकालकर अलग रख दिया जाता है अथवा आधा या चौथाई भाग आहार दिया जाता * है, जहाँ हर तरह के भिक्षाचर आहार लेने आते-जाते रहते हैं। ऐसे नित्यपिण्ड देने वाला कुलों में
जव निर्ग्रन्थ भिक्षु-भिक्षुणी आहार लेने लगेंगे तो वह गृहस्थ उनके निमित्त अधिक भोजन बनवाएगा। जैन श्रमण को देने के बाद थोड़ा-सा बचेगा. उन लोगों को नहीं मिल सकेगा. जो प्रतिदिन वहाँ से भोजन ले जाते हैं, तव उन्हें अन्तराय लगेगा और आहार लाभ से वंचित भिक्षाचरों के मन में जैन साधु-साध्वियों के प्रति द्वेषभाव जगेगा। अतः ऐसे कुलों में आहार के लिए नहीं जाना चाहिए। कुल का अर्थ यहाँ विशिष्ट घर समझना चाहिए।
नित्य अग्रपिण्ड का अर्थ वृत्तिकार ने किया है-"भात, दाल आदि जो भी आहार बना है, उसमें से पहले भिक्षार्थ देने के लिए जो आहार निकालकर रख लिया जाता है।"
सामग्गियं की व्याख्या वृत्तिकार ने की है-"भिक्षु द्वारा यह उद्गम-उत्पादन-ग्रहणैषणा, संयोजना, प्रमाण, अंगार, धूम आदि कारणों (दोषों) से सुपरिशुद्ध पिण्ड का ग्रहण ज्ञानाचार * सामर्थ्य है, दर्शन-चारित्र-तपोवीर्याचार संपन्नता है।" चूर्णिकार के शब्दों में इस प्रकार आहारगत दोषों का परिहार करने से पिण्डैषणा गुणों से उत्तरगुण में समग्रता होती है।
॥ प्रथम उद्देशक समाप्त ॥ {Note : All these codes are meant for both bhikshu and bhikshuni. Therefore the pronoun has to be helshe or his/her. But from hereon we shall just mention he or his for convenience. It should be taken as he/she according to the context.]
Elaboration—In some families donating food to Shramans, Brahmins and beggars is considered to be a pious and meritorious
deed. There food is donated daily to every seeker; while cooking, first e portion of food is kept separate for donating; or half or quarter portion
is donated. In such houses seekers frequent everyday to seek alms. If a bhikshu or bhikshuni goes to seek alms in houses that donate everyday, the layman will get additional quantity of food for him; or if he offers food to the Jain Shraman first, there would be a shortage for those who come for alms everyday. This would cause the bondage of antaraya karma (karma that acts as an impediment to pursuits) and आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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