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एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्व हिं समिए सहिए . सया जए। है -त्ति बेमि।
॥ पढमो उद्देसओ सम्मत्तो ॥
९. गृहस्थ के घर में आहार-प्राप्ति के लिए प्रवेश करने के इच्छुक साधु या साध्वी ऐसे कुलों (घरों) को जाने कि जिन कुलों में नित्यपिण्ड (आहार) दिया जाता है, अग्रपिण्ड दिया जाता है, प्रतिदिन भात (आधा भाग) दिया जाता है, प्रतिदिन उपार्द्ध भाग (चौथा भाग) दिया जाता है; इस प्रकार के कुलों में जोकि नित्य दान देते हैं, जिनमें प्रतिदिन भिक्षा के लिए भिक्षुओं का आगमन होता रहता है, ऐसे कुलों में आहार-पानी के लिए हैसाधु-साध्वी प्रवेश एवं निर्गमन न करें। से यह उस भिक्षु या भिक्षुणी के लिए (ज्ञानादि आचार की) समग्रता है, अर्थात् वह
समस्त विषयों में संयत या पंच समितियों से युक्त, ज्ञानादि सहित निर्दोष वृत्ति होकर सदा प्रयत्नशील रहे।
__-ऐसा मैं कहता हूँ। ... CENSURE OF FOOD REGULARLY PREPARED FOR CHARITY ... 9. A bhikshu or bhikshuni desirous of entering a house of a
layman in order to seek alms should explore the families : (houses) where food is traditionally donated daily, first portion of
food is donated, half portion is donated, one quarter portion is : donated; the families which donate everyday, where seekers
' frequent everyday to seek alms; and he or she should not go or .' enter such houses to seek food or water.
This is the totality (of conduct including that related to * knowledge) for that bhikshu or bhikshuni. Which means that he
should ever continue his (spiritual) pursuits with discipline in every respect, observing the five self-regulations and having • faultless attitude and conduct.
-So I say. : पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana : Frist Chapter
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