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such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal.
२९९. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा अणंतरहियाए पुढवीए, ससणिद्धाए पुढवीए, ससरक्खाए पुढवीए, मट्टियामक्कडाए, चित्तमंताए सिलाए, चित्तमंताए लेलुयाए, कोलावासंसि वा, दारुयंसि वा जीवपइट्ठियंसि जाव मक्कडासंताणयंसि, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चार- पासवणं वोसिरेज्जा ।
२९९. साधु-साध्वी ऐसे स्थण्डिल को जाने, जोकि सचित्त पृथ्वी पर, स्निग्ध ( गीली ) पृथ्वी पर; सचित्त रज से लिप्त या संसृष्ट पृथ्वी पर, सचित्त मिट्टी से बनाई हुई जगह पर, सचित्त शिला पर, सचित्त पत्थर के टुकड़ों पर, घुन लगे हुए काष्ठ पर या दीमक आदि द्वीन्द्रियादि जीवों से अधिष्ठित काष्ठ पर या मकड़ी के जालों से युक्त स्थान पर हो। ऐसे स्थण्डिल पर मल-मूत्र का विसर्जन नहीं करे ।
299. A bhikshu or bhikshuni should find if a sthandil is located on a sachit (contaminated with living organism) land; damp ground; land covered with sachit sand; a place constructed with sachit sand; sachit rock; sachit stones or pebbles; wood infested with termite or other such insects or cobwebs. If it is so, such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal.
३००. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा इह खलु गाहावई वा गाहावई पुत्ता वा कंदाणि वा जाव बीयाणि वा परिसाडेंसु वा परिसाडेंति वा परिसाडिस्संति वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि ( थंडिलंसि ) णो उच्चार- पासवणं वोसिरेज्जा ।
३००. साधु-साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल के सम्बन्ध में जाने कि यहाँ पर गृहस्थ या गृहस्थ के पुत्रों ने कंद, मूल यावत् बीज आदि इधर-उधर फेंके हैं या फेंक रहे हैं अथवा फेंकेंगे, तो ऐसे अथवा इसी प्रकार के अन्य किसी दोषयुक्त स्थण्डिल में मल-मूत्रादि का विसर्जन नहीं करे |
300. A bhikshu or bhikshuni should find if a householder, his sons (etc.) have thrown, are throwing or will throw bulbous roots, stalks, seeds etc. at a sthandil or it has other such faults.
आचारांग सूत्र (भाग २)
Acharanga Sutra (Part 2)
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