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ascetic wants water a householder may give sachit water for four possible reasons- - ( 1 ) Unknowingly or inadvertently, ( 2 ) Due to antagonism and with an intention to put the ascetic to infamy, (3) With a feeling of compassion for the ascetic, or (4) With some other idea. In all such cases the ascetic should be careful not to accept sachit water. (Hindi Tika, p. 123-140)
विहार - समय पात्र विषयक विधि - निषेध
२५८. से भिक्खू वा २ गाहावइकुलं पविसित्तुकामे सपडिग्गहमायाए गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए पविसेज्ज वा णिक्खमेज्ज वा, एवं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा गामाणुगामं दूइज्जेज्जा, तिव्वंदेसियादि जहा बिइयाए वत्थेसणाए णवरं एत्थ डिग्गहो ।
एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वट्ठेहिं सहिएहिं सदा जज्जासि ।
-त्ति बेमि ।
२५८. साधु या साध्वी जब गृहस्थ के घर आहारादि लेने के लिए जाये तो अपने पात्र साथ लेकर वहाँ प्रवेश करे । इसी प्रकार बस्ती से बाहर स्वाध्याय भूमि या शौचार्थ स्थण्डिल भूमि को जाए अथवा ग्रामानुग्राम विहार करते समय भी पात्र अपने साथ में रखे।
॥ बीओ उद्देसओ सम्मत्तो ॥ ॥ छठ्ठे अज्झयणं सम्मत्तं ॥
यदि दूर-दूर तक तीव्र वर्षा हो रही हो इत्यादि परिस्थितियों में जैसे वस्त्रैषणा के द्वितीय उद्देशक के अनुसार समझना चाहिए । विशेष इतना ही है कि वहाँ सभी वस्त्रों को साथ में लेकर जाने का निषेध है, जबकि यहाँ अपने सब पात्र लेकर जाने का निषेध है।
यही साधु-साध्वी का समग्र आचार है जिसके परिपालन के लिए प्रत्येक साधु-साध्वी को ज्ञानादि सभी अर्थों से प्रयत्नशील रहना चाहिए।
- ऐसा मैं कहता हूँ ।
पात्रैषणा: षष्ठ अध्ययन
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॥ द्वितीय उद्देशक समाप्त ॥
॥ षष्ठम अध्ययन समाप्त ॥
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Paatraishana: Sixth Chapter
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