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वाहन का बोझा ढोने योग्य है, यह हल रथ आदि में जोतने योग्य है, इस प्रकार की सावद्य यावत् जीव-हिंसाकारिणी भाषा नहीं बोले ।
200. When a disciplined bhikshu or bhikshuni sees a variety of domestic cattle he should not say-these are ready to be milked, it is time to milk them or that bull is fit to be punished, this bull is young and is fit to be made a beast of burden or yoked to a plough or cart. He should not utter such sinful and violent language.
२०१. से भिक्खू वा २ विरूवरूवाओ गाओ पेहाए एवं वइज्जा, तं जहा - जुवंगवे ति वा, धेति वा, रसवती ति वा, महव्वए ति वा, संवहणे ति वा । एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव अभिकंख भासेज्जा ।
२०१. किन्तु आवश्यकता होने पर वह साधु या साध्वी गायों तथा गो जाति के पशुओं को देखकर इस प्रकार कह सकता है कि यह वृषभ जवान है, यह गाय प्रौढ़ है, दुधारू है, यह बैल बड़ा हो गया है, यह भार ढोने योग्य है। इस प्रकार की निरवद्य यावत् जीव - हिंसारहित भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।
201. On seeing (if an occasion to speak about them arises) aforesaid healthy man, bull etc., a bhikshu or bhikshuni should say this bull is young, this cow is mature and bears milk, this ox has matured and can carry burden. He should thoughtfully utter such sinless and benign language.
२०२. से भिक्खू वा २ तहेव गंतुमुज्जाणाई पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए णो एवं वइज्जा, तं जहा- पासायजोग्गा ति वा, तोरणजोग्गा ति वा, गिहजोग्गा ति वा, फलिहजोग्गा ति वा, अग्गलजोग्गा ति वा, नावाजोग्गा ति वा, उदगदोणिजोग्गा ति वा, पीढ-चंगबेर-मंगल-कुलिय- जंतलट्ठी- णाभि-गंडी - आसणजोग्गा ति वा, सयण - जाणउवस्सयजोग्गा ति वा । एयप्पगारं सावज्जं जाव णो भासेज्जा ।
२०२. संयमी साधु-साध्वी कभी बगीचों में, पर्वतों पर या वनों में जाये तो वहाँ बड़ेमोटे वृक्षों को देखकर उनके सम्बन्ध में ऐसा नहीं कहे कि यह वृक्ष काटकर मकान आदि में लगाने योग्य है, यह तोरण ( नगर का मुख्य द्वार) बनाने योग्य है, यह घर बनाने योग्य है, इसका फलक ( तख्त) बन सकता है, इसकी अर्गला बन सकती है या नाव बन सकती
भाषाजात : चतुर्थ अध्ययन
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Bhashajata: Fourth Chapter
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