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सुन्दर बना है, यह कल्याणकारी है, यह करने योग्य है; इस प्रकार की सावध (सावद्य कार्य का अनुमोदन करने वाली) यावत् जीवोपघातकारी भाषा नहीं बोले।
194. When a disciplined bhikshu or bhikshuni sees a variety of forms (scenes) such as raised places, furrows, trenches, moats around a town, buildings etc., he should not say about these that it is well made, it is very well made, it is made beautiful, it is beneficial, it is worth making. He should not utter such sinful and violent (approving sinful activities that involve violence to beings) language.
१९५. से भिक्खू वा २ वेगइयाइं रूवाइं पासेज्जा, तं जहा-वप्पाणि वा जाव गिहाणि वा तहा वि ताई एवं वइज्जा, तं जहा-आरंभकडे ति वा, सावज्जकडे ति वा, पयत्तकडे ति वा। पासाइयं पासाइए ति वा, दरिसणीयं दरिसणीए ति वा, अभिरूवं अभिरूवे ति वा, पडिरूवं पडिरूवे ति वा। एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासेज्जा।
१९५. साधु-साध्वी खेतों की क्यारियाँ यावत् भवनगृह; आदि को देखने पर (कहने का प्रयोजन हो तो) इस प्रकार कहें जैसे-कि यह आरम्भ करके बनाया है। सावद्यकृत है . या यह प्रयत्न-साध्य है। प्रसादगुण से युक्त को प्रासादीय, देखने योग्य को, दर्शनीय,
अभिरूप (रूप सम्पन्न) को अभिरूप, प्रतिरूप को कहें। इस प्रकार विचारपूर्वक असावद्य यावत् जीवोपघात से रहित भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
195. On seeing (if an occasion to speak about them arises) aforesaid things, from furrows to buildings, a bhikshu or bhikshuni should say—This has been made intentionally, sinfully and with an effort. If it is palatial building it should be called so, if it is worth looking at it should be called attractive, if it is beautiful it should be called so, and if it resembles something it should be called so. He should thoughtfully utter such sinless and benign language.
१९६. से भिक्खु वा २ असणं वा ४ उवक्खडियं पेहाए तहा वि तं णो एवं र वइज्जा, तं जहा-सुकडे ति वा, सुटुकडे ति वा, साहुकडे ति वा, कल्लाणे ति वा,
करणिज्जे ति वा। एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव णो भासेज्जा।
• आचारांग सूत्र (भाग २)
( २९४ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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