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PROCEDURE OF CROSSING KNEE-DEEP WATER
155. When an itinerant bhikshu or bhikshuni comes to a knee-deep water-body, in order to cross it he/she should first inspect and clean his/her body from head to toe. After that he/she should put one foot in water and the other on land and cross the shallow water-body following the procedure laid down by Tirthankars.
१५६. से भिक्खू वा २ जंघासंतारिमे उदगे अहारियं रीयमाणे णो हत्थेण हत्थं जाव अणासायमाणे ततो संजयामेव जंघासंतारिमे उदगे अहारियं रीएज्जा।
१५६. जंघा से तरणीय जल-प्रवाह को विधि के अनुसार पार करते हुए साधु-साध्वी हाथ से हाथ का, पैर से पैर का तथा शरीर के विविध अवयवों का परस्पर स्पर्श नहीं करे। इस प्रकार वह ईर्यासमिति की विधि के अनुसार यतनापूर्वक उस जंघातरणीय जल को पार करे।
156. While following this procedure of crossing he/she should not touch one of his/her hands with the other, one of his/her legs with the other and different parts of his/her body with each other. This way he/she should cross the shallow water-body carefully following the procedure laid down by Tirthankars.
१५७. से भिक्खू वा २ जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीयमाणे णो सायवडियाए णो परिदाहपडियाए। महइमहालयंसि उदगंसि कायं विओसेज्जा। ततो संजयामेव जंघासंतारिमेव उदए अहारियं रीएज्जा।
१५७. साधु-साध्वी जंघाप्रमाण जल में विधि के अनुसार चलते हुए शारीरिक सुख-शान्ति के लिए या दाह उपशान्त करने के लिए गहरे और विस्तृत जल में प्रवेश न करे और जब उसे यह अनुभव होने लगे कि मैं उपकरणादि सहित जल से पार नहीं हो सकता हूँ तो वह उनको छोड़ दे, उसके पश्चात् वह यतनापूर्वक आगम विधि से उस जंघाप्रमाण जल को पार करे।
157. While following this procedure of crossing he/she should not enter deep or large water-body for physical pleasure or pacifying heat. If he/she feels that he/she cannot cross carrying his/her equipment he/she should abandon them. After that आचारांग सूत्र (भाग २)
( २५४ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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